Saturday, August 11, 2018

गायत्री साधना मंत्र

प्रश्न - *दी, मैं एक विद्यार्थी हूँ एवम गायत्री साधना विधि जानना चाहता हूँ। मैं तन और मन से स्वस्थ रहना चाहता हूँ। मुझे हमेशा निगेटिव विचार आते रहते हैं, कृपया मेरा मार्गदर्शन कीजिये*

उत्तर - प्रिय छोटे आत्मीय भाई, तुम्हारे जैसे युवा हमारे देश का गौरव हैं, जो इतनी छोटी उम्र में मन के स्वास्थ्य को लेकर गम्भीर है।

बेटे, मन के पास स्वर्ग और नर्क दोनों की सीढ़ी होती है। मन से बड़ा कोई मित्र नहीं और मन से बड़ा कोई शत्रु नहीं। मन को स्वस्थ रखने के लिए इस पर सवारी करना सीखना होगा, जिससे तुम अपने मन की समस्त शक्तियों को केंद्रित करके अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त कर सको।

*गायत्री मंत्र - एक जीवनी शक्ति को बढ़ाने वाला और मन को साधने वाला मन्त्र है। जिस प्रकार गणित में फ़ार्मूले से सवाल हल करने में मदद मिलती है, वैसे ही जीवन की समस्याओं को हल करने में गायत्री मंत्र में जप मिलती है। गायत्री मंत्र द्वारा हम प्राणऊर्जा को स्वयं के भीतर आकर्षित करते हैं।यह हमारे शरीर के 24 मुख्य ऊर्जा केंद्र और 72 हज़ार नाड़ियों में प्राण भरता है।*

गायत्री मंन्त्र द्वारा शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य और मनोबल बढ़ाने, प्राणवान साधक बनने से पहले कुछ प्रश्न स्वयं से कीजिये:-

*पहले स्वयं से प्रश्न कीजिये मैं कौन हूँ? क्या ये शरीर मैं हूँ? मेरे शरीर पर मेरा कितना नियंत्रण है?*

उत्तर में आपको पता चलेगा कि जिस शरीर को आप अपना कह रहे हो, वास्तव में उसे तो आपने बनाया नहीं, माता-पिता ने बना के दिया, साथ ही जिस अन्न-जल से यह शरीर मे विकास हो रहा है वो अन्न भी हम नहीं है। आप तो किराएदार हो, एक न एक दिन यह शरीर रूपी घर छूट जाएगा, जैसे हमारे पूर्वजों का छूट गया।

अब जो शरीर आपको मिला, उसके भी अंग प्रत्यंग आपके नियंत्रण में नहीं, 95% शरीर स्वतः कार्य कर रहा है, प्रकृति के कंट्रोल में... न श्वांस लेना आपके हाथ मे है न पाचन आपके हाथ मे है...न हृदय की धड़कन आपके हाथ मे है...

अब मन जो कि आपका हिस्सा है, वो भी आपके हाथ मे नहीं। सोचो एक घण्टे भी विचारशून्य मौन होकर बैठ नहीं सकते, साथ ही शरीर को भी बिना हिले डुले एक घण्टे स्थिर रख सकते हो।

न तुम शरीर हो और न ही तुम मन हो, तुम वह चेतना या जिसे आत्मा भी कहते है वो हो, जो यह शरीर और मन को उपयोग में ले रही है। तो मन पर तो इस चेतना का राज होना चाहिए, फिर मन की गुलामी क्यों हो रही है? हमारा मन जो चाहता है हम वो क्यों करते हैं?

*हम सभी मनुष्य को प्रत्येक क्षण चयन करना पड़ता है दो मार्गों के बीच-  1- श्रेय मार्ग(Best for me) और 2- प्रेय मार्ग(I love to do it)*

उदाहरण - सुबह उठना, नित्यकर्म करना, स्कूल जाना, पढ़ना, योग-व्यायाम, स्वाध्याय, समय पर स्वास्थ्यकर भोजन और समय पर खेलना और समय पर सोना बच्चे के लिए श्रेय मार्ग (best for his future) है। लेकिन मन को यह बन्धन पसन्द नहीं।

और  देर से सो कर उठना, घण्टों टीवी में कार्टून इत्यादि देखना, मस्ती करना, आलस्य करना, जंक फूड खाना इत्यादि प्रेय मार्ग(he love to do it) है, मन को यही उन्मुक्त बन्धन रहित जीवन पसन्द है। लेकिन इससे बच्चे का आगे कोई फ्यूचर नहीं बनने वाला।

बड़े होकर ही जब उसे अपनी रोजी रोटी कमानी पड़ेगी, बुद्धि मैच्योर होगी, तो उसे श्रेय मार्ग के महत्त्व का अहसास होगा और वो कैरियर और सेहत बनाने के लिए माता पिता को धन्यवाद देगा। लेकिन बचपन और नासमझी में तो मन ही मन मांता-पिता को स्कूल जबरन भेजने हेतु गाली ही दे रहा होगा।

*प्रिय भाई, मन को नियंत्रण में लाने के लिए मन को शुभ संकल्पों से बांधते हैं। 👉🏼अपने मन को श्रेय मार्ग में ले जाने के लिए अतिरिक्त बल की चेतना(आत्मा) को आवश्यकता होती है, इसीलिए वो अतिरिक्त आत्मबल हम गायत्री उपासना द्वारा संग्रहित करते हैं।*

*मन की अच्छी प्रोग्रामिंग के लिए* पहले जैसा कि मैंने ऊपर बताया एक शुभ सङ्कल्प से बांधना है, वो शुभ सङ्कल्प गायत्री मंत्र में ही छुपा है, जो इस प्रकार है, इसे लिख के एक कागज पर्स में रख लो, एक अपने घर की दीवार में चिपका दो, एक अपने फ्रिज के दरवाजे पर लगा दो। ऐसा श्रेष्ठ तुम्हें हर हालत में बनना है, यही तुम्हारा शुभ सङ्कल्प है:-

*मैं प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का पुत्र हूँ अंश हूँ, अतः जिस प्रकार राजा का बेटा राजकुमार होता है उसी तरह मैं प्राणवान, दुःख बंटाने वाला, सुख बांटने वाला, आत्मीयता बढ़ाने वाला, श्रेष्ठ, तेजस्वी, अनीतियों से लोहा लेने वाला, देवस्वरूप सफल और समर्थ व्यक्ति बनूँगा। स्वयं भी श्रेय मार्ग-सन्मार्ग पर चलूंगा और लोगों को भी सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करूंगा।*

*अब सबसे पहले एक कैरियर का लक्ष्य चुनो,  एक To do List बनाओ कि मेरे उज्ज्वल भविष्य, अच्छी सेहत, स्वस्थ मन के लिए क्या क्या जरूरी है। टाइम टेबल बना कर उस पर अमल शुरू कर दो।*

भाई ग्रेजुएट होने में भी 16 वर्ष पढ़ना पड़ता है तो इस प्रोसेस में भी 3 वर्ष का समय लगेगा ही। 3 वर्ष में मन की प्रोग्रामिंग पूरी हो जाएगी, तुम मन के शासक बन जाओगे। मन तुम्हे कभी गुलाम नहीं बना पायेगा:-

1--रोज़ कम से कम आधा घण्टा बिना हिले डुले बैठने का प्रयास करें, धीरे धीरे यह समय बढ़ाये और एक घण्टे तक स्थिर बैठें।

2- एक दिन में 324 मंन्त्र अर्थात तीन माला उगते हुए सूर्य का ध्यान कर जपना होता है। एक स्वयं के लिए, एक परिवार के लिए और एक राष्ट्र के कल्याण के लिए जपा जाता है।

3- जब बिना हिले आधे घण्टे बैठने का अभ्यास सध जाए तो अपनी आती -जाती श्वांस पर ध्यान केंद्रित करें। भावना करो कि सूर्य की किरणें तुम्हारे अंदर प्रवेश कर तुम्हे प्रकाशित कर रही है। फिर स्वयं को सूर्य में विलीन हुआ सोचो, अब तुम और सूर्य एक ही हो। अब सूर्य ही तुम हो।

4- नित्य उगते हुए बाल सूर्य का ध्यान करते हुए नेत्र बन्द, कर्ण बन्द, मुंह बंद करके पूरी तरह विचार शून्य होकर आधे से एक घण्टे बैठ जाएं।

5- प्रत्येक रविवार या गुरुवार को केवल दो समय ही लहसन प्याज के बिना भोजन कर व्रत रखें। यदि एक समय फलाहार और एक समय भोजन लेकर करें तो और अच्छा है।

*यज्ञ हेतु* - दो कटोरी ले लो, एक खाली और दूसरे में जल भरा हो। रविवार के  दिन 24 गायत्री मंत्र, 11 सूर्य गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र जप कर आहुति दें, अर्थात खाली कटोरी में एक एक मंन्त्र के साथ जल डालते जाएं। यदि पास में कोई गायत्री शक्तिपीठ हो तो अग्नि वाला यज्ञ वहां कर लें।

6- सप्ताह में एक दिन कम से कम दो घण्टे का मौन रखें। न कुछ बोलें और न कुछ सोचें। इससे प्राणबल बढ़ेगा।

7- जिस माह प्रत्येक दिन बिना कुछ सोचे, बिना कुछ बोले, नेत्र बन्द कर, बिना हिले डुले शांत होकर आधे से एक घण्टे का ध्यान कर लेंगे। उसी दिन मन पर नियंत्रण सिद्ध हो जाएगे, आप ज्ञानी बन जाएंगे। फ़िर आप मन की शक्ति से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकोगे। सब आपके ज्ञान के आगे नतमस्तक हो जाएंगे। आपके शब्दो मे प्राण होगा, इंटरव्यू में सभी आप को वरीयता देंगे।

8- रोज सोने से पूर्व अच्छी पुस्तको उदाहरण - *मानसिक प्रबंधन, दृष्टिकोण ठीक रखे, सङ्कल्प शक्ति की प्रचण्ड प्रक्रिया, आगे बढ़ने के तैयारी, प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल, व्यवस्था बुद्धि की गरिमा इत्यादि* का स्वाध्याय करो(पढो), जो निम्नलिखित लिंक पर फ्री पढ़ सकते हो, अच्छे विचार नकारात्मक विचार को समाप्त कर देते हैं:-

http:// www. vicharkrantibooks. org

*उगते सूर्य का ध्यान निम्नलिखित वीडियो से सीखें:-*
https:// youtu. be /04Dl89YWTYU

🙏🏻जब तक स्वयं के मन को वश में नहीं करेंगे, मन उपद्रव मचाएगा। गलत राह में ले जाएगा। समय रहते मन को शुभ संकल्पों से बांध कर श्रेय मार्ग चलना शुरू कर देना चाहिए, जीवन लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए।🙏🏻
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