Thursday, June 30, 2016

सरसों और इसके तेल के 13 बेहतरीन फ़ायदों से आप अभी तक है अनजान, जरूर प


शरीर पर सरसों के तेल की मालिश से सारे शरीर में खून का दौरा तेज होकर शरीर में स्फूर्ति आती है। इससे शरीर पुष्ट होता है, बुढ़ापे के लक्षण मिटते हैं, थकान दूर होती है, माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं तथा त्वचा स्वच्छ एवं झुर्रियों रहित, कोमल कांतिपूर्ण बनती है।
नवजात शिशु तथा प्रसूता, दोनों का शरीर सरसों के तेल की मालिश से पुष्ट तथा बलवान बनता है। यह शरीर के रोम छिद्रों द्वारा सारे शरीर में पहुँच कर शरीर का पोषण करता है तथा शक्ति प्रदान करता है। सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश करके नहाने से शरीर पर ठण्ड का असर नहीं होता।

शरीर का रोग ग्रस्त अंग जिसमें दर्द, सूजन या गठिया हो, सरसों के तेल की मालिश से आराम मिलता है। सरसों के तेल में हींग, अजवायन, लहसुन, डालकर गर्म करके, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रखें। सर्दी के कारण हाथ, पैर, कमर में दर्द होने लगे तो इस तेल की मालिश से आराम मिलेगा। बच्चों को सर्दी लग जाने पर इस तेल की मालिश से उनकी सर्दी दूर होगी। सिर के बालों में नियमित रूप से सरसों का तेल लगाने से वे असमय सफेद नहीं होंगे, सिर में दर्द नहीं होगा, आँखों की ज्योति बढ़ती है तथा नींद ठीक आती है।
कानों में सरसों का तेल डालने से कान दर्द, बहरापन आदि कान के रोग मिटते हैं। इससे कान का मैल फूलकर बाहर निकल आता है। कान में दर्द हो या कीड़ा घुस गया हो तो सरसों के तेल में ३-४ कलियाँ लहसुन की डाल कर गर्म करके गुनगुना रहने पर १-२ बूँद कान में डालें। कीड़ा मरकर तेल के साथ बाहर आ जाएगा।
सरसों के तेल में बारीक पिसा नमक मिलाकर कुछ समय तक लगातार मंजन करने से दाँत दर्द, पायरिया आदि रोगों में लाभ होता है। जुकाम होने पर गर्म सरसों के तेल की छाती, पीठ पर मालिश करने तथा नाक के चारों ओर लगाने से लाभ होता है।
पैर के तलवों में सरसों के तेल की मालिश से थकावट दूर होती है, पैरों की शक्ति बढ़ती है तथा इससे आँखों की ज्योति भी बढ़ती है। सरसों के दाने शहद के साथ पीसकर चाटने से खाँसी में आराम मिलता है।
सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलेगा। बच्चे के पेट की तिल्ली बढ़ जाने पर सरसों के तेल को गुनगुना गर्म करके कुछ दिन उसके पेट की मालिश करें। प्रसूतिगृह की विषाक्त गंध को दूर करने के लिए सरसों के दानों की घी के साथ धूप देनी चाहिए।
किसी ने जहरीला पदार्थ खा लिया हो तो गर्म पानी में सरसों के दाने पीसकर पिलाने से तत्काल वमन हो जाएगा तथा पेट से जहरीला पदार्थ बाहर निकल आता है। सरसों के तेल में आक के पत्तों का रस तथा हल्दी मिलाकर गर्म करें, ठण्डा होने पर छान कर शीशी में रख लें। खाज-खुलली, दाद आदि चर्म रोगों के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद है।
सौंदर्यवर्धंक उपयोग : दूध में सरसों को गलने तक उबाल लें, फिर उसमें गुलाबजल मिलाकर नियमित रूप से चेहरे पर उबटन करने से रंग निखरेगा। सरसों को हल्का भून, पीसकर रख लें।
आवश्यकता हो तब उसमें पानी या दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएँ। सूखने पर हल्के हाथ से रगड़ कर साफ कर लें। चेहरा चमक उठेगा।
भुनी सरसों, भुने काले तिल, नागरमोथा, जायफल पीसकर उसमें थोड़ा बेसन मिलाकर उबटन करें। झाँई, मुँहासे , खुश्की मिटेगी तथा त्वचा लावण्यमय बनेगी।
बेसन, हल्दी, जरा सा पीसा कपूर तथा सरसों का तेल डालकर, दही या पानी के साथ घोल बना लें। इस उबटन से रंग साफ होगा तथा त्वचा में चमक आती है।
सरसों, बच, लोद, सेंधा नमक मिलाकर पानी में पीसकर मुँह पर लेप करें तथा सूखने पर गुनगुने पानी से धोकर तौलिए से रगड़कर चेहरा साफ कर लें। इससे मुँहासे मिटेंगे तथा चेहरा चमक उठेगा।

Wednesday, June 29, 2016

[[UC News]#घर में आती छिपकलियों से है परेशान तो यह करे# http://headline.uodoo.com/story/184016910667634?channel_id=102&app=browser_iflow&uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvpf&ver=10.9.8.770&sver=inapprelease&lang=hindi&entry=browser&entry1=shareback&entry2=widget] is good,have a look at it!

आयुर्वेद का सदैव स्वास्थय रहने के 10 मंत्र.

अगर आप अपनी दिनचर्या में ये 10 चीजें शामिल कर लें तो दुनिया का कोई भी रोग आपको छू भी नहीं पायेगा. हृदय रोग, शुगर – मधुमेह, जोड़ों के दर्द, कैंसर, किडनी, लीवर आदि के रोग आपसे कोसों दूर रहेंगे. ऐसी ग़ज़ब हैं ये. आइये जानते हैं इनके बारे में.

1. आंवला।

किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा, इसके साथ चेहरा तेजोमय बाल स्वस्थ और सौ बरस तक भी जवान महसूस करेंगे।

2. मेथी।

मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा।

3. छाछ।

तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

4.हरड़।

हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे, कहते हैं एक सभी रोग पेट से ही जन्म लेते हैं तो पेट पूर्ण स्वस्थ रहेगा।

5. दालचीनी और शहद।

सर्दियों में चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से अनेक रोगों से बचाव होता है।

6. नाक में तेल।

रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। और 5 – 5 बूंदे बादाम रोगन की या सरसों के तेल की या गाय के देसी घी की हर रोज़ डालें.

7. कानो में तेल।

सर्दियों में हल्का गर्म और गर्मियों में ठंडा सरसों का तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे।

8. लहसुन की कली।

दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ लेने से यूरिक एसिड, हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, कैंसर आदि भयंकर रोग दूर रहते हैं।

9. तुलसी और काली मिर्च।

प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग, अस्थमा नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।

10. सौंठ।

सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात क सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व् वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।

Tuesday, June 28, 2016

गुड़ है इतना गुणकारी जानेंगे तो बना लेंगे जीवन का अभिन्न हिस्सा.

गुड के फायदे, Benefit of Jaggery in Hindi.
गुड़ का भारतीय संस्कृति में अपना महत्व है। पुराने ज़माने में गुड का सेवन बहुतायत होता था, ये सेहत के लिए अनेकों दृष्टिकोण से लाजवाब है. मगर एक विशेष साज़िश के तहत हमारी सेहत का सत्यानाश करने के लिए अंग्रेज सरकार ने गुड बनाने वाली भट्टियों को गैर कानूनी करार दे कर जबरन चीनी खिलाना शुरू किया, और उसका दंभ हम आज तक झेल रहें हैं. अभी भी गन्ना किसान बेचारे अपनी फसल को ले कर दर बदर भटकते रहते हैं. और पहले अपने घर में ही गन्ने से गुड बना कर इसका उपयोग किया जाता रहा है. और विशेष बात तो यह है के आज भी वही कानून भारत सरकार में भी लागू हैं. धन्य हैं वो लोग जिन्होंने अंग्रेजो के कानूनों को कॉपी पेस्ट किया और देश के महा नायक बन गए. चलिए छोडिये ये मुद्दा इतना गंभीर नहीं हैं मगर छोटी सोच वाले लोग इसको बेहद गंभीर बना देते हैं. तो बात करते हैं गन्ने की.

गन्ने के रस से गुड और चीनी दोनों बनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं चीनी बनने पर आइरन तत्व, पोटेशियम, गंधक, फासफोरस और कैल्शियम आदि तत्व नष्ट हो जाते हैं लेकिन गुड़ में ये तत्व पूरी मात्रा में मौजूद होते हैं। गुड़ विटामिन ए और विटामिन बी का बेहतर स्त्रोत है। गुड़ के कई एैसे फायदे हैं जिन्हें जानकर आपको भी गुड़ खाने की इच्छा बढ़ जाएगी। क्या है गुड़ में और कैसे आपके और आपके परिवार की सेहत के लिए सबसे अच्छा है। आज समय की ऐसी मार पड़ी है के अधिकतर गन्ना बनाने वाले भी इसकी शुद्धता का पूरा ध्यान नहीं देता, मगर फिर भी ये स्वास्थय के लिए बेहद अच्छा और फायदेमंद है.

गन्ना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। गुड़ का नियमित थोडा थोडा सेवन करने से अनेक रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला,खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। कभी घर में गुड के चावल और दलिया बना कर खा कर देखना. जो स्वाद इनमे आता है वो फाइव स्टार में भी नहीं आता (ये लेखक का व्यक्तिगत अनुभव है) इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती है. आइये जानते हैं गुड के फायदे.

बच्चों के लिए फायदेमंद
गुड़ में कैल्श्यिम की उचित मात्रा होने की वजह से यह बच्चों की हड्डीयों की कमजोरी को दूर करता है। साथ ही बच्चों के दांत टूटने पर होने वाली कमजोरी को भी दूर करता है। बढ़ते हुए बच्चों को गुड़ देना उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

बुढ़ापा और मानसिक स्वास्थ के लिए
विटामिन बी होने की वजह से गुड़ मानसिक रोगों को दूर करता है। प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि गुड़, दही और मक्खन खाने वालों को बुढापा जल्दी नहीं आता है। इसलिए गुड़ जरूर खाएं।

दिल की बीमारी में लाभदायक
गुड़ में मौजूद पोटेशियम दिल संबंधी बीमारियों की रोकथाम करने में फायदेमंद होता है। दिल के रोगियों के लिए चीनी नुकसानदायक होती है एैसे में गुड़ खाना बेहद फायदेमंद होता है।

आयरन की कमी के लिए
माताओं और बहनों में लौह तत्व की कमी पायी जाती है। एैसे में कई बार मासिक धर्म में परेशानी हो जाती है। वे यदि गुड़ का सेवन करें तो उन्हें फायदा मिल सकता है। शरीर में खून की कमी की वजह से आयरन की मात्रा भी कम हो जाती है। एैसे में गुड़ में 11 प्रतिशत मिलीग्राम लौह तत्व पाया जाता है जो खून की कमी और हीमोग्लोबिन का कम होने की समस्या को ठीक कर देता है।

तुरंत शक्तिदायक.
पहले जब लोग मेहनत का काम करते थे तो काम शुरू करने से पहले गुड ज़रूर खाते थे, गुड खाने से तुरंत एनर्जी मिल जाती है. गाँवों में ऐसी अनेक उदाहरण मिल जाएँगी जहाँ बुजुर्गों ने गुड खाने के बाद किसी गाय या बैल को अपने कंधे पर उठा लिया हो या कोई बड़ा पेड़ उठा लिया हो. गुड तुरंत शक्ति देने में बहुत सहयोगी है.

इसके अलावा गन्ने के ये निम्नलिखित गुण बहुत विशेष हैं. आइये इनको भी जाने.

सर्दी के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गरमा गर्म पीना काफी अच्छा रहता है और यह काढ़ा हमें सर्दी-जुकाम से भी बचाता है।
जुकाम जम गया हो तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।
पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।
गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है।
गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
सर्दियों के मौसम में गुड की चाय पीना ज्यादा स्वास्थवर्धक माना जाता है।
भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
गुड़ उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जिनके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होती है, क्योंकि गुड आयरन का एक बहुत ही अच्छा स्रोत होता है और यह शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढाने में मदद करता है

गुड हमारी पाचन क्रिया के लिए भी काफी अच्छा होता है इसलिए गुड को थोड़ी मात्रा में खाना खाने के बाद जरूर खाना चाहिए।
गुड का प्रयोग पीलिया रोग का उपचार करने के लिये भी किया जाता है। पांच ग्राम सौंठ, दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गुड का इस्तेमाल विभिन्न तरह की अलग अलग डिश बनाने में किया जाता है जैसे – तिल गुड की चिक्की, गुड की खीर, गुड का परांठा आदि।
गुड में अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में सहायता करता है।
अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान है तो रात में खाना खाने के बाद एक टुकड़ा गुड खाने से आप कब्ज की समस्या से मुक्ति पा सकते है।
पुराना गुड़ अधिक अच्छा होता है लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए गुड को ही थैली में डालकर कुछ देर धूप में रखने के बाद प्रयोग करें तो यह फिर से पुराने गुड के जैसा ही गुणकारी हो जाता है।
गैस की तकलीफ को दूर करने के लिए रोज सुबह के समय में खाली पेट थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए।
गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।
गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।
खट्टी डकारें आने पर गुड़ को काले नमक में मिलाकर चाटें।
छिलकेवाली मूंग की पानीवाली दाल में गुड़ मिलाकर खाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। गुड़ की चक्की बनाकर भी आप इसका सेवन कर सकते हो।
खाली पेट गुनगुने पानी में गुड़ को घोलकर पीने से आपको फायदा मिलता है। जिससे शरीर कें अंदर की गंदगी साफ हो जाती है।

वैरिकोज वेन्स varicose veins का उपचार

क्‍या है वैरिकोज वेन्स ::
पैर की नसों में मौजूद वाल्‍व, पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते है। लेकिन इन वॉल्‍व के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं, इसे वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन, बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। आइये जाने इस के आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे।

1.सेब साइडर सिरका :-
सेब साइडर सिरका वैरिकोज वेन्‍स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है और रक्त प्रवाह और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। समस्‍या होने पर सेब साइडर सिरके को लगाकर उस हिस्‍से की मालिश करें। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले और अगले सुबह फिर से करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्‍स का आकार कम होने लगता है। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्‍मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पीये। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने में दिन में दो बार सेवन करें।

2. लाल शिमला मिर्च :-
लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्‍स के इलाज लिए एक चमत्‍कार की तरह माना जाता है। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संकुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को आसान बनाता है। गर्म पानी में एक चम्‍मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर, इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।

3. जैतून का तेल : –
जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।

4. लहसुन :-
छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से करे |

5. बुचर ब्रूम :-
बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्‍स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्‍टेज गुण नसों की बाधा को कम करता है। यह पोषक तत्‍वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ ही पैरों के रक्‍त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्‍च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य ले लें।

6. अखरोट : –
अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।

7.अजमोद :- (अजवायन)
एक मुठ्ठी ताजा अजमोद की एक मुठ्ठी लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।

7. अर्जुन की छाल : –
अर्जुन की छाल वेरीकोस वेन्स के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं, अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की चाल को चाय की तरह उबाले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले।

ये सब प्रयोग आपको एक दिन में आराम नहीं देंगे, मगर 4 से 6 महीने में चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।

वेरीकोस वेन्स में महत्वपूर्ण.
अगर शारीर में रक्त परिसंचरण सही रूप से हो तो यह अनेक समस्याएँ उत्पन्न नहीं होती, इसके लिए हर रोज़ सुबह शौच जाने के बाद 10 मिनट आँखे बंद करके शीर्षासन या सर्वांगासन करें… समस्या चाहे जितनी भी भयंकर हो उसमे आराम आएगा.

वैरिकाज़ वेनस और ब्लड क्लॉटिंग के लिए रामबाण नुस्खे
Varicose veins home remedy hindi me.
वैरिकाज़ वेनस ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनो को प्रभावित करती हैं। इस समस्या में प्रभावित अंग की वेन्स में ब्लड वापिस नहीं जा पाता, जिस कारण ये वहीँ नसों में रह कर उस अंग को प्रभावित करता है, ये अवस्था वेरीकोस वेन्स कहलाती है। और यह किसी को भी हो सकती है, यह कई अलग अलग कारणों की वजह से हो सकती है। यह समस्या आमतौर पर हमारे पैर और टखने में होती है। वैरिकाज़ वेनस क्षतिग्रस्त वाल्व और नसों, अधिक वजन, व्यायाम, चोट, रक्त के थक्के, गर्भावस्था की कमी के कारण या आप एक लंबे समय के लिए खड़े या बैठते हैं, ऐसी किसी भी समस्या के रूप में हो सकती हैं।

वेरीकोस वेन्स अपने तक पहुंचा हुआ खून अपने कमज़ोर वाल्व और रक्त के थक्को के कारण हृदय तक वापिस पहुँचाने में असमर्थ होती हैं। यह रक्त इन नसों में जमा हो जाता है। यही कारण है कि समय पर इस स्वास्थ्य समस्या का इलाज ना कराया जाए तो ये भयंकर रूप ले सकता है। क्योंकि अगर आप भी लंबे समय के लिए प्रतीक्षा करेंगे तो आप इसका इलाज करने में सक्षम नहीं हो सकेंगे। जैसे ही आपको ऐसा कुछ भी प्रतीत हो आप इस पर ध्यान दीजिये।

सबसे पहले, आपको पता होना चाहिए कि आपको हर दिन व्यायाम करने की जरूरत है, आपको हर समय बैठे या खड़े नहीं होना चाहिए। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है – आपको इसका घर का प्राकृतिक उपचार की कोशिश करनी चाहिए।

1. मालिश।
वेरीकोस वेन्स में मालिश बहुत बड़ा रोल निभाती है, रोग ग्रसित भाग पर नियमित रूप से सुबह शाम सरसों, तिल या नारियल के तेल से मालिश करनी चाहिए।

2. शीर्षासन या सर्वांगासन।
हमारे शरीर में रक्त परिसंचरण का बहुत महत्त्व है, अगर हमारा ब्लड सर्कुलेशन सही हो रहा हो तो 99 % रोग उत्पन्न ही नहीं होंगे। शीर्षासन या सर्वांगासन ऐसे आसान हैं जिनको आसनो का राजा कहा जाता है। ये सम्पूर्ण शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को सही करते हैं जिस से रक्त वहिकाहों के वाल्वस फिर से एक्टिवेट हो कर अपना कार्य सुचारू ढंग से करना शुरू करते हैं।

3. भेड़ के दूध का प्रयोग।
यह चमत्कारी उपाय वास्तव में अद्भुत है। आप परिणाम से चकित हो जायेंगे। यह उपाय बहुत ही सरल और आसान है, सिर्फ साधारण निर्देशों का पालन करें।

भेड़ का दूध – 1 गिलास
बच्चो के नहाने का साबुन – 1
सबसे पहले, आप दूध में बच्चो के साबुन को पीस ले और इस मिश्रण को एक प्लास्टिक कंटेनर में डालकर फ्रिज में स्टोर कर ले। प्रभावित क्षेत्रों पर इस मिश्रण को ऊपर और नीचे की तरफ रगड़ना चाहिए प्रति दिन 3 बार। आप परिणाम से चकित हो जाएगा।

बिच्छु काटने पर तुरंत आराम के लिए 4 रामबाण उपाय

Home remedy for scorpion bite
गाँवों या शहरो में अक्सर कच्ची जगह या बरसात में घर में बिच्छू निकल आते हैं, अगर ये काट ले तो भयंकर पीड़ा होती है, और इनके ज़हर चढ़ने का भी खतरा रहता है, ऐसे में ये रामबाण उपाय सिर्फ 2 मिनट में ज़हर को उतार देगा और दर्द शांत कर देगा. आइये जाने इस रामबाण उपचार को.

1. बिच्छू के काटने पर रामबाण फिटकरी का प्रयोग.
फिटकरी को किसी साफ़ किये हुए पथर पर, थोड़ा सा पानी डाल कर चंदन की तरह घिसें। फिर जहां पर बिच्छु ने काटा हो वहां पर इस फिटकरी का लेप लगाकर, आग से थोड़ा सेंके। कैसा भी जहरीला बिच्छु का काटा क्यों न हो, इस फिटकरी के प्रयोग से जहर सिर्फ दो ही मिनट में उतर  जाता है।
फिटकरी को चिमटी से पकड़ कर थोडा गर्म कर लीजिये, जैसे ही फिटकरी पिघलने लगे तो फिटकरी को बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगा दीजिये, फिटकरी तुरंत वहां चिपक जाएगी, और पूरा ज़हर चूस कर अपने आप उतर जाएगी.
2. बिच्छु काटने पर इमली का बीज.
इमली के बीज को साफ़ पत्थर पर घिसे, घिसते घिसते अन्दर का सफ़ेद भाग निकल आएगा तो उसे भी बिच्छु के काटने के स्थान पर लगा देंगे तो यह चिपक जायेगा, जैसे ही नीचे गिरे तो दूसरा बीज घिस कर लगाइए.. इस प्रकार बिच्छु का ज़हर उतर जाता है.

3. बिच्छु काटने पर माचिस का मसाला
बिच्छु के डंक मरने पर माचिस की 5-6 तीलियाँ का मसाला को  उतारकर पानी में घिसकर बिच्छु के डंक लगे स्थान पर लगाने से तत्काल बिच्छु का जहर उतर जाता है। इसे मधुमक्खी व बर्र के काटने पर लगाने से भी जहर फैलता नहीं और तुरन्त आराम मिलता है।

4. बिच्छू काटने पर सेंधा नमक.
बिच्छू के डंक मार जाने पर अगर ज़हर का स्थान ना मिले तो ऐसे में ये उपाय बेहद लाभकारी है. लाहोरी (सेंध नमक) पंद्रह ग्राम और साफ़ पानी 75 ग्राम आपस में मिलकर साफ़ शीशी में भर कर रखे ले. बस दवा तैयार है. बिच्छु काटने पर आँखों में सलाई(सुरमा लगाने वाली) की सहायता से आँखों में एक एक बूँद डाल दीजिये, कुछ ही मिनटों में ज़हर उतर जाएगा. ये प्रयोग अन्य प्रयोगों के साथ भी किया जा सकता है.

उपरोक्त बताये गए सभी नुस्खे कभी विफल नहीं हुए है. ऐसा लेखक का दावा है. इसलिए बिना विलम्ब किये इन नुस्खों को तुरंत आजमाना चाहिए.

बिच्छु काटने पर विशेष
1. उग्र विष वाले बिच्छु जिसकी दुम धरती पर घिसटती चलती है, के काटने पर, अगर किसी ऐसी जगा काटा हो जहां पटी बांध सकें तो बांध दें जैसे की हाथ, पैर या जांघ पर, जहां काटा गया हो वहां से चार ऊँगली ऊपर बांध देना चाहिए। उसके चार ऊँगली ऊपर फिर से बांध दें। ऐसा करने से विष पुरे शरीर में नहीं फैलेगा।

2.यदि डंक दंश स्थान में रह गया हो तो किसी सेफ्टीपिन या चिमटी को आग की लौ में गर्म करने के बाद त्वचा में घुसे हुए डंक को उसकी सहायता से निकाल देना चाहिए और बिना समय नष्ट करें उपरोक्त उपचारों में से एक उपचार कर लेना चाहिए।

3. बारीक़ पिसा हुआ सेंधा नमक को प्याज के टुकड़े से उठाकर दंश-स्थान पर मले, इससे जहर और डंक दोनों दूर होंगे।