Friday, August 18, 2017

Dhi ki chatny

दही की चटनी (dahi chutney) अगर आपने एक बार खाली तो आप इसके दीवाने हो जायेंगे और हर रोज़ यही चटनी बनायेंगे दही से बनी ये चटपटी चटनी सभी का दिल जीत लेती हैं तो फिर देर किस बात की फटाफट बनाएं स्वादिष्ट दही की चटनी।
आवश्यक सामग्री -
दही = एक कटोरी
पिसी काली मिर्च = आधा छोटा चम्मच
लाल मिर्च पावडर = आधा छोटा चम्मच
लहसुन = आधा छोटा चम्मच कटा हुआ
प्याज़  = 2 छोटे, बारीक़ कटे हुए
पुदीना = एक छोटा चम्मच, बारीक़ कटा हुआ
हरा धनिया =एक छोटा चम्मच, बारीक़ कटा हुआ
पिसी अदरक = एक छोटा चम्मच
नमक = स्वादअनुसार
विधि -
सबसे पहले एक बाउल में दही लेकर खूब अच्छी तरह से फेंट लें फिर इसके बाद इसमें प्याज़, अदरक, लहसुन, हरा धनिया और पुदीना डालकर मिला लें।
और फिर इसमें नमक और काली मिर्च पावडर भी डालकर मिला लें सर्व करने से पहले इसमें ऊपर से थोड़ा-सा लाल मिर्च पावडर छिड़क दें चावल, रोटी या फिर पराठे के साथ लज़ीज़ व मज़ेदार दही की चटनी का मज़ा लें।
सुझाव
अगर आप चाहें तो प्याज़, अदरक, लहसुन, हरा धनिया और पुदीना को मिक्सी में पीसकर इसका पेस्ट बनाकर भी दही में डाल सकते हैं

Wednesday, August 16, 2017

खाना खाने का बच्चों का मन नही करता तो ये उपाय है जैसे जादू

खाना खाने का बच्चों का मन नही करता तो ये उपाय है जैसे जादू
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अक्सर सभी के घर में छोटे बच्चों के साथ यह समस्या रहती है कि खाने का नाम आते ही उनके बहाने शुरू हो जाते हैं कि हमे भूख नही है । बच्चों की भूख बढ़ाने और हाजमा दुरुस्त करने के लिये ये स्वादिष्ट प्रयोग घर पर तैयार करें, बच्चों की भूख भी खुल जायेगी और खाना खाने में रूचि भी बनेगी । जानिये इस प्रयोग के बारे में ।
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जरूरी सामग्री :-
1 :- धनिया मसाले वाला 20 ग्राम
2 :- जीरा 20 ग्राम
3 :- काली मिर्च 20 ग्राम
4 :- पोदीने का सत्व 20 ग्राम
5 :- सेंधा नमक 10 ग्राम
6 :- काला नमक 20 ग्राम
7 :- किशमिश 50 ग्राम
8 :- नीम्बू का रस 10 मिलीलीटर
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उपरोक्त लिखी सभी सामान आपकी रसोई में आसानी से उप्लब्ध होता है, पोदीने का सत्व आपको पँसारी के पास से ही मिल जायेगा ।
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निर्माण विधी :-
नीम्बू के रस और किशमिश को छोड़कर बाकी सभी चीजों को बारीक पीस लें एक साथ । फिर इनको किशमिश के साथ खूब अच्छे से कूटकर चटनी जैसा बना लें । इस चटनी में थोड़े थोड़े नीम्बू के रस के छींटे देकर खूब घोटते रहें । फिर इसकी छोटे बेर जितनी गोलियॉ बना लें और कुछ देर टाईट होने तक धूप में सुखा लें । एयरटाईट डिब्बी में बंद करके रखें ।
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सेवन विधी :-
दो दो गोली दिन में 3-4 बार बच्चों को चूसने के लिये दीजिये । इस गोली का स्वाद बच्चों को बहुत मन भाता है और यह पाचक अग्नि को भी प्रबल बनाती है जिससे भूख खुलकर लगने लगती है और बच्चों की खाना ना खाने की समस्या दूर हो जाती है । बस इतना ध्यान रखें कि बच्चों को बाजार से चिप्स आदि ना खाने दें ।

Sunday, August 13, 2017

कुते के काटने पर यह दवा ले।

अगर घरेलु कुत्ता काटे तो कोई दिक्कत नही है पर पागल कुत्ता कटे तो समस्या है। सड़क वाला कुत्ता काटले तो आप जानते है नही, उसको इंजेक्शन दिए हुए है या नही, उसने काट लिया तो आप डॉक्टर के पास जायेंगे फिर वो 14 इंजेक्शन लगाएगा वो भी पेट में लगाता है, उससे बहुत दर्द होता है और खर्च भी हो जाता है कम से कम 50000 तक कई बार, गरीब आदमी के पास वो भी नही है । कुत्ता कभी भी काटे, पागल से पागल कुत्ता काटे, घबराइए मत, चिंता मत करिए बिलकुल ठीक होगा वो आदमी बस उसको एक दावा दे दीजिये । दावा का नाम है Hydrophobinum 200 (ये आपको होमोपेथिक स्टोर से मिलेगी) और इसको 10-10 मिनट पर जिव में तिन ड्रोप डालना है । कितना भी पागल कुत्ता काटे आप ये दावा दे दीजिये और भूल जाइये के कोई इंजेक्शन देना है। इस दावा को सूरज की धुप और रेफ्रीजिरेटर से बचाना है। रेबिस सिर्फ पागल कुत्ता काटने से ही होता है पर साधारण कुत्ता काटने से रेबिस नही होता।

Wednesday, July 26, 2017

फिटकरी और मिश्री का ये चमत्कारी मिश्रण अस्थमा को जड़ से ख़त्म कर देगा, श्वास के सभी रोगों में फ़ायदेमंद

फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक,आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है।रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
दाढ़ी बनाने, बाल काटने के बाद फिटकरी रगडे़ या पानी में गीला कर दाढ़ी पर लगायें। इससे दाढ़ी की त्वचा सुन्दर और स्वस्थ होती है। जहां पर चींटिया व दीमक हो वहां पर सरसों का तेल लगाकर फिटकरी को डालने से चींटियां व दीमक वहां नहीं आती है।

सामग्री:
फिटकरी: 50  ग्राम
मिश्री: 50 ग्राम

दवा  बनाने की विधि :
आग पर फुलाई हुई फिटकरी 20 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम इन दोनों को पीसकर रख लें। इस चूर्ण को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
फूली हुई फिटकरी 120 मिलीग्राम की मात्रा में मुंह में डाल लें और चूसते रहें। इससे न कफ बनता है और न ही दमा रोग होता है।
फूली हुई फिटकरी और मिश्री 10-10 ग्राम पीसकर रख लेते हैं। इसे दिन में एक-दो बार डेढ़ ग्राम की फंकी ताजा पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पुराना दमा भी ठीक हो जाता है। दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए। मक्खन निकला हुआ मट्ठा तथा सब्जियों के सूप (रस) आदि लेना चाहिए।
पिसी हुई फिटकरी एक चम्मच, आधा कप गुलाबजल में मिलाकर सुबह-शाम पीने से दमा ठीक हो जाता है।
परहेज:
दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए।

Tuesday, July 25, 2017

बांझपन दूर कर गर्भ धारण करने के अचूक राजा महाराजाओ के नुस्खे !

कस्तूरी 2 रत्ती, अफीम, केसर, जायफल प्रत्येक एक एक ग्राम भांग के पत्ते 250 मिलीग्राम तथा पुराना गुड़, सफेद कत्था प्रत्येक छह ग्राम, सुपारी गुजराती 3 नग एवं लौंग 4 नग लें। सभी औषधियों को कूट छानकर जंगली बेर के समान 10 गोलियाँ बनाकर मासिकधर्म के पश्चात् एक एक गोली सुबह शाम 5 दिन खिलायें। नोट – इस योग के प्रयोग से 40-50 वर्ष की स्त्री (जिसे मासिक आ रहा हो) का भी बांझपन रोग दूर होकर गर्भ ठहर जाया करता है।

यदि प्रथम मास के प्रयोग से गर्भ न ठहरे तो यह प्रयोग जब तक गर्भ न ठहरे दूसरे या तीसरे मास तक कर सकते है। मोर के पंख के बीच वाले भाग (गहरा नीला) 9 नग लेकर गरम तवे पर भूनकर, बारीक पीसकर पुराने गुड़ में खूब मिलाकर नौ गोलियाँ बना लें। मासिक धर्म आने के दिनों में प्रतिदिन एक गोली 9 दिनों तक प्रातः सूर्योदय से पूर्व, दूध के साथ सेवन करायें। इसके पश्चात् दम्पत्ति सहवास करें तो निश्चित गर्भ ठहर जायेगा। यदि प्रयोग प्रथम मास में असफल रहे तो पुनः दूसरे या तीसरे मास प्रयोग करें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन 8 दिनों तक असली नागेश्वर का चूर्ण 3-3 ग्राम गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से मात्र पहले या दूसरे महीने में ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है। औषधि का सेवन प्रतिदिन दो बार सुबह शाम करायें। शिवलिंगी के बीज, नागौरी असगन्ध, असली नागकेशर, मुलहठी, कमलकेसर, असली वंशलोचन प्रत्येक 10-10 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम लें। सभी औषधियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में बछड़े वाली गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से तथा स्त्री पुरूष का एक माह पूर्व से ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा औषधि प्रयोग के 12वीं रात्रि सहवास करने से अवश्य गर्भ रहता है। एक माह में एक बार ही सहवास करें। अधिक से अधिक चार माह के प्रयोग से ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है।

Sunday, July 23, 2017

स्वदेशी ज्ञान – अब नहीं टपकेगी आपकी छत, सिर्फ 50 रुपैये के खर्चे में होगा इसका रामबाण इलाज स्वदेशी ज्ञान – अब नहीं टपकेगी आपकी छत, सिर्फ 50 रुपैये के खर्चे में होगा इसका रामबाण इलाज

बरसात में छत टपकाना एक आम बात है और ये स्थिति कभी कभी इतनी भयंकर होती है के पूरी की पूरी छत तोडनी भी पड़ जाती है, और ये काम कितना महंगा है आप सब जानते हैं, ऐसे में अगर कोई ऐसा प्रयोग करें के 50 रुपैये लगें और छत टपकनी बंद हो जाए. आज Only Ayurved आपको इसी बात का ग़ज़ब का तोड़ बता रहा है के कैसे टपकती हुई छत और ज़र्ज़र हो रहे पुराने ढांचे में नयी जान लायी जा सकती है. आज बता रहें हैं ओनली आयुर्वेद में श्री बलबीर सिंह जी और चेतन सिंह शेखावत जी.

सबसे पहले बात करेंगे इसके आईडिया की
Only Ayurved के टीम मेम्बेर्स ने एक विदेशी article पढ़ा जिसमे एक वैज्ञानिक अपनी नयी खोज दिखा रहा था के कैसे Bacillus bacteria के द्वारा एक घोल तैयार करके अंतिम उत्पाद calcium carbonate (Calcite) बनाया, जिस पर उन्होंने दावा किया के किसी भी पुराने ब्रिज और पुरानी छत या पुरानी दीवारें इनकी दीवारों में इसको भरने से वहां पर अपने आप एक पत्थर (Calcite) का निर्माण हो जाता है, और यही पत्थर उस जगह पर Sealing का काम करता है, जो दीवार या छत को पुरा सपोर्ट करके उसमे नयी जान डाल देता है. इसका लिंक भी आपको नीचे दे देंगे, जो भाई और इस पर शोध करना चाहें वो करें और नयी नयी जानकारियाँ निकाल कर लायें तांकि लोगों का भला हो सके.
तो ओनली आयुर्वेद ने इसी का परिक्षण करने के लिए एक घर का चुनाव किया जिस की छत टपक रही थी, उस पर अनेकों प्रयोग किये मगर वो सफल नहीं हुआ और अनेको मिस्त्रियों ने यही बोला के छत तुड़वानी पड़ेगी और कोई हल नहीं है. ऐसे में टीम ओनली आयुर्वेद ने इस फंडे को apply किया, और शत प्रतिशत कामयाबी पायी. टपकना तो दूर वहां आज 1 महीने के बाद तक अनेकों बारिश होने पर भी सीलन भी नहीं आई. तो आज आपसे भी यही शेयर कर रहें हैं. आइये जाने.

सबसे पहले जान लेते हैं इसके लिए ज़रूरी सामान
सीमेंट – ज़रूरत अनुसार
बजरी (रेत, बालू रेत) – ज़रूरत अनुसार
दही – सीमेंट का एक चौथाई 1/4
चीनी – दही का आधा

बनाने की विधि
सर्वप्रथम दही और चीनी को मिलाकर रात में ढक कर किसी मिटटी के बर्तन में रखें, अभी जहाँ पर छत टपक रही है वहां पर थोडा तोड़ लें तांकि इसके अन्दर तक ये मसाला जा सके. अभी आधे सीमेंट में बजरी और आधा चीनी वाला दही मिलाएं. बाकी को अलग कर दें। अभी तैयार मिश्रण में थोडा और पानी मिलाकर इसको पतला घोल कर लो. इस घोल को जहाँ पर छत टपकती हो उसको थोडा साइड से कुरेद कर उसमे धीरे धीरे ये घोल इसमें डालिए, जितना अन्दर जाए इसको और डालते रहें. और अभी इसको कम से कम 3 से 4 घंटे तक पड़ा रहने दें. इसके बाद बाकी बचा हुआ जो मसाला है उसमे दही मिलाकर जिस प्रकार नार्मल जो मसाला लगाया जाता है उस प्रकार से उस पर लगा दें. और इस को सूखने के लिए कम से कम 8 घंटे का समय दें. कुल मिलाकर 12 घंटे में आपकी छत टपकना बंद हो जाएगी.

कैसे करता है ये काम
इसमें जब हम दही और चीनी को जब आपस में मिलाया जाता है तो दही में उपस्थित Lacto bacillus bacteria चीनी को अपने भोजन के रूप में उपयोग करता है, और बदले में lactic acid बनाता है, जब हम इस मिश्रण को सीमेंट के घोल में मिलाते हैं तो ये lactic acid सीमेंट में उपस्थित कैल्शियम के साथ रिएक्शन करके calcium lactate और जल बनाता है. इसमें जो 3 से 4 घंटे का समय दिया है उस समय में calcium lactate हवा से क्रिया करके Calcium Carbonate बनाता है, यही calcium carbonate एक पत्थर है जो सीलिंग का काम करता है. इस प्रयोग का credit श्री बलबीर सिंह शेखावत और चेतन सिंह शेखावत को दिया जाता है. टीम ओनली आयुर्वेद उनका धन्यवाद करती है और समाज सेवा के इस उत्कृष्ट कार्य में दिए गए अनमोल सहयोग के लिए भरपूर सराहना करती है.
इस प्रयोग को करें और इसका फीडबैक दें, और हाँ दुसरे लोग जो ज़रूरत मंद हो उनकी भी सहायता ज़रूर करें. और हाँ आलोचकों और Motivate करने वालों का स्वागत है.
यह पोस्ट मूल रूप से onlyayurved.com पर अपडेट की गयी थी और ऑनली आयुर्वेद टीम को ही इसका पूरा पूरा श्रेय जाता है ।

Tuesday, July 18, 2017

नपुंसकता ,शुक्राणु बनने की दवा।

सुंदर सपने से सजी शादी की लाइफ उस समय बदरंग बन जाती है जब किसी पुरूष की जिदंगी में आता वो समय जिसकी सभी को अभिलाषा होती है घर का हर सदस्य अपने आने वाले नये मेहमान का बेस्रबी से इंतजार करता है पर ये इतंजार बढ़ते बढ़ते जब सालों में बदल जाये तो दोनो के बीच एक प्रश्न बनकर खड़ा हो जाता है। क्योकि शारीरिक संपर्क को दौरान भी किसी ना किसी के शरीर में इसकी कमजोरी प्रश्न बनती खड़ी रहती है. जब पुरूषों में शुक्राणु के बनने के लक्षण कम होते है तो उनमें नपुंसकता बढ़ने लगता है जिससे बच्चे के पैदा होने में दुविधा खड़ी हो जाती है। सामान्य तौर पर एक स्वस्थ या हेल्दी पुरूष में 15 मिलियन शुक्राणु की कोशिकाओं का होना काफी आवश्यक होता है। जिसमें स्वस्थ शुक्राणु के इन लक्षणों के अलावा रूप, संरचना और गतिशीलता का होना जरूरी माना जाता है। यदि आप थोड़ी सी सतर्कता बरते तो आप अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार लाकर शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को बढ़ा सकते है।

लौंग नपुंसकता की बहुत अच्छी दवा है. लौंग का नाम याद आया तो मै आपको इसके फायदे भी बताता हूं. ये बहुत बढ़िया चीज है. ये तो आप जानते है कि ये कफ की हर बीमारी मे काम आती है. लेकिन एक बीमारी में राजीव भाई ने इसका बहुत उपयोग किया है, और इतने बढ़िया परिणाम आए जो आपको बताने है. अगर ऐसा कोई भी पुरुष जिसके वी र्य मे शुक्राणु नही बनते, उनके लिए लौंग सबसे अच्छी दवा है. उनको लिए लौंग का पानी अमृत है, और उनको लौंग का पानी  रोज पीना चाहिए. बाजार में लौंग का तेल भी आता है. एक बूंद लौंग का तेल, एक चम्मच गर्म पानी मे डाल के रोज पिएगे तो वी र्य में बहुत शुक्राणु बनेगे. कई बार हमे ये चमत्कार लगता है लेकिन राजीव भाई को ऐसे कई पुरुष जिनके इसी एक कारण से शादी के कई साल बाद भी बच्चे नही हो रहे थे, उनको राजीव भाई ने तीन महीने लौंग का तेल दिया और अभी सब बाप बन गये. इसीलिए लौंग नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है. लौंग कफ में खांसी मे भी कई जगह काम आती है,

नपुंसकता की कुछ और दवा बताता हु जैसे ये लॉन्ग है वैसे ही अपने घर मे एक और दवा है वो भी न्म्पुस्कता को खत्म करती है और उसका नाम है चुना. जी हाँ वही चुना जो पान में डाला जाता है. ये चुना गेहू के दाने के बराबर, दही मे मिलाए किसी को  भी खिलाओ वीर मे शुक्राणु बहुत बनते है. और गन्ने के रस मे मिलाकर खिलाओगे तो और अच्छा परिणाम मिलते है. गन्ने के रस का आधा गिलास में गेहू के दाने के बराबर चुना मिलाकर पिए, ये नपुंसकता की बहुत अच्छी दवा है. इसको माताएं भी ले सकती है जिन माताओं के शरीर मे अंडे नही बनते. उनको भी गन्ने के रस मे चुना खिलाओ बहुत बढ़िया दवा है

Thursday, June 1, 2017

सिर्फ 1 पान का पत्ता खाने से होते है ये 20 अद्भुत फायदे जिन्हें जान आप दंग रह जायेंगे

Vपान  जिसे अंग्रेजी में ‘betel leaf’ और संस्कृत में नागवल्लरी या सप्तशिरा कहते हैं, दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाली एक लता होती है। दिल के आकार वाले पान के पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में भोजन के उपरांत पान का सेवन बहुत ही प्रचलित है। भारत में हर गली नुक्कड़ पर पान के दूकान की मौजूदगी इस बात का सबूत है की यहाँ पान कितना पसंद किया जाता है। पूजा पाठ से लेकर पान का इस्तेमाल मिठाई बनाने तक के लिए किया जाता है। हम यह बात मान सकते है कि पान के पत्तों में सुपारी, तंबाकू, चूना आदि लगा कर खाने से स्वास्थ संबंधी बीमारी हो सकती है। लेकिन आगर आप केवल पान के पत्तें का इस्तेमाल करते है तो यह काफी लाभकारी हो सकता है। इसे खानें से गंभीर से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर दूर करने से लेकर सरदर्द, कब्ज, दर्द दूर करने के गुण होते हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में पान के इन्ही औषधीय गुणों के बारे में बताएँगे। आइए जानते हैं पान के पत्ते के फायदों के बारे में।

पान  (Betel Leaf) के पत्ते के 20 अद्भुत फायदे :
कब्ज : पान के पत्ते चबाना कब्ज के लिए भी एक कारगर इलाज है। कब्ज की स्थिति में पान के पत्ते पर अरंडी का तेल (Castor Oil) लगाकर चबाने से कब्ज में राहत मिलती है।
खाँसी : पान के 15 पत्तो को 3 ग्लास पानी में डाल ले. इसके बाद, इसे तब तक उबाले, जब तक पानी उबल कर 1/3 ना रह जाए। इसे दिन में 3 बार पिए।
पाचन तंत्र : पान के पत्ता का वैसे माउथ फेशनर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसे चबाने से हमारें लिए कापी फायदेमंद हो सकता है। जब हम इसे चबा कर खाते है तब हमारी लार ग्रंथि पर असर पड़ता है। इससे इससे सलाइव लार बनने में मदद मिलती है। जो हमारी पाचन तंत्र के लिए बहुत ही जरुरी है। अगर आपने भारी भोजन भी कर दिया है उसके बाद आप पान खा लें। इससे आपको भोजन आसानी से पच जाएगा।
ब्रोंकाइटिस : पान के 7 पत्तो को 2 कप पानी में रॉक शुगर के साथ उबाले। जब पानी एक ग्लास रह जाए तो उसे दिन में तीन बार पिए. ब्रोंकाइटिस में लाभ होगा।
शरीर की दुर्गंध : 5 पान के पत्तो को 2 कप पानी में उबाले। जब पानी एक कप रह जाए तो उस पानी को दोपहर के समय पी ले। शरीर की दुर्गंध दूर हो जाएगी।
घाव : पान के पत्ते को पीस कर जले हुए जगह पर लगाए. कुछ देर बाद इस पेस्ट को धो दे और वहा शहद लगा कर छोड़ दे। घाव जल्दी ठीक हो जाता हैं।
गैस्ट्रिक अल्सर : पान के पत्ते के रस को पीने से गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में काफी मदद करता है। क्योंकि इसे गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधि के लिए भी जाना जाता है।
नकसीर : गर्मियो के दिनों में नाक से खून आने पर पान के पत्ते को मसलकर सूँघे। इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा।
मुँह के छाले : मुँह में छाले हो जाने पर पान को चबाए और बाद में पानी से कुल्ला कर ले। ऐसा दिन में 2 बार करे। राहत मिलेगी। आप चाहे तो ज़्यादा कत्था लगवा कर मीठा पान खा सकते हैं।
कैंसर : पान चबाने से ओरल कैंसर से भी बचा जा सकता है बशर्ते की पान का इस्तेमाल जर्दा और तम्बाकू के बिना किया जाये। पान के पत्ते में मौजूद एब्सकोर्बिक एसिड और अन्य एंटीऑक्सीडेंट मुंह में बन रहे हानिकारक कैंसर फ़ैलाने वाले तत्वों को नष्ट करते हैं। इसके सेवन से मुंह की दुर्गन्ध भी जाती है।
आँखों की जलन और लाल होना : 5-6 छोटे पान के पत्तो को ले और उन्हे एक ग्लास पानी में उबाले. इस पानी से आँखो पर छींटे मारे। आँखो को काफ़ी आराम मिलेगा।
खुजली : पान के 20 पत्तो को पानी में उबाले। अच्छी तरह से उबलने के बाद इस पानी से नहा ले। खुजली की समस्या ख़त्म हो जाएगी।
मोटापा : वजन कम कर रहे लोगो के लिए पान के पत्ते चबाना बहुत ही फायदेमंद होता है। पान के सेवन शरीर का मेटाबोलिज्म आश्चर्यजनक रूप से बढता है। जिस से वजन कम करने में सहयता मिलती है। इसके सेवन से शरीर से अतिरिक्त वसा भी नष्ट होती है।
मसूड़ो से खून आना : 2 कप पानी में 4 पान के पत्ते को डाल कर उबाल ले। इस पानी से गरारे करे। मसूड़ो से खून आना बंद हो जाएगा।
पौरुष शक्ति : पान को सेक्स का सिंबल भी माना जाता है। सेक्स संबंध से पहले खाने से इस क्रिया का अधिक सुख लिया जा सकता है। इसलिए नए जोड़े को पान खिलाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इसलिए इसे दिया जाता है।
स्तनपान करवाने की समस्या : पान के कुछ पत्तो को ले। इन्हे धोने के बाद इन पर तेल लगा कर हल्का सा गर्म कर ले और गुनगुना होने पर इसे स्तनों (ब्रेस्ट निपल्स) के आस-पास रखे, इससे सूजन चली जाएगी और बच्चें को दूध पिलाने में आसानी होगी।
मुँह की बदबू : पान के पत्ते चबा ले या पानी में उबाल कर गरारे करे। मूह से बदबू की समस्या दूर हो जाएगी।
मुहांसे : पान के 8 पत्ते अच्छी तरह से पीस ले। इसे 2 ग्लास पानी में गाढ़ा होने तक उबाले। बाद में इसे
फेसपैक की तरह इस्तेमाल करे। मुहांसे दूर हो जाएँगे।

महिलाओं में श्वेत प्रदर : पान के 11 पत्ते 2.5 लिटर पानी में उबाल ले। इस पानी से अपनी योनि को धोए। सफेद पानी आने की समस्या में आराम मिलेगा।
बालतोड़ : आयुर्वेद में पान के पत्तों का इस्तेमाल बालतोड़ के उपचार के लिए किया जाता है। बालतोड़ (Boil) हो जाने पर पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और उसपर अरंडी का तेल लगाकर बालतोड़ वाले स्थान पर चिपकाएँ।

Tuesday, May 9, 2017

अब घर पर ही बनाएं कुरकुरे

आवश्यक सामग्री
1 बड़ा कप चावल का आटा
3 छोटा चम्मच उड़द दाल
3 बड़ा चम्मच मक्खन
1 बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
2 बड़ा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
आधा छोटा चम्मच साबुत जीरा
2 छोटा चम्मच हींग
आधा छोटा चम्मच सफेद या काले तिल
नमक स्वादानुसार
सजावट के लिए
1 बड़ा चम्मच चाट मसाला
विधि
- धीमी आंच में एक पैन गर्म करने के लिए रखें.

- पैन के गर्म होते ही उड़द दाल को भून लें और आंच बंद कर दें.

- उड़द दाल में चावल का आटा, मक्खन, नमक, हींग, जीरा, लाल मिर्च पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट और तिल मिक्स कर गूंद लें.

- आटे से थोड़े बड़े आकार की लोइयां तोड़ लें और चकली मेकर में भर दें.

- धीमी आंच में एक पैन में तेल गर्म करने के लिए रखें.

- तेल के गर्म होते ही चकली मेकर को दबाते हुए आटे के छल्ले निकालें और पैन में डालते जाएं.

- छल्लों को सुनहरा होने तक तल लें.

- क्रिस्पी कुरकुरे तैयार हैं. ऊपर से चाट मसाला बुरक कर चाय के साथ सर्व करें.

- आप इसे ठंडा कर एयर टाइट डिब्बे में भी स्टोर कर सकते हैं.


कुरकुरे पोहा ओर चना दाल के बड़े

सामग्री :
2 कप भीगी चना दाल ,
2 कप भीगे पोहे ( चिड़वा ) ,
2 बड़े चम्मच हरी मिर्च -अदरख पेस्ट ,
1 बड़ा चम्मच कटा हरा धनिया ,
4 बड़े चम्मच खट्टा दही ,
2 बड़े प्याज कटे हुए ,
2 बड़े चम्मच तिल ,
2 छोटे चम्मच साबुत जीरा ,
तलने के लिए रिफाइंड तेल व नमक |
विधि :
चना दाल को पानी से निकालकर दही के साथ दरदरी पीस लें , उसमें भीगे पोहे डालकर मिला दें |

फिर अदरख-हरीमिर्च पेस्ट ,हरा धनिया , प्याज , तिल , जीरा , नमक डालकर मिला दें अब गोले बनाकर हाथ से दबा लें और फिर गरम तेल में वड़ों को तल लें |

Sunday, May 7, 2017

जलजीरा पाउडर बनाने की आसान विधि

सामग्री
काला जीरा –दो बड़े चम्मच
अमचूर –दो छोटे चम्मच
अदरक पाउडर –एक छोटा चम्मच
काली मिर्च –आधा छोटा चम्मच
सुखा पुदीना –डेढ़ छोटा चम्मच
मिर्ची पाउडर –आधा छोटा चम्मच
अजवाइन एक चौथाई छोटा चम्मच
हींग पाउडर –एक चौथाई छोटा चम्मच
लौंग –चार
सेंधा नमक –डेढ़ छोटा चम्मच
सादा नमक –एक छोटा चम्मच
विधि
सभी सामग्री को एक सूखे पैन मे सुगंध आने तक भून लें और ठंडा कर के पीस ले अब इसे डिब्बे मे भर कर रख लें और ज़रूरत के अनुसार इस्तेमाल करें

Thursday, May 4, 2017

कॉलेस्ट्राल का बढ़ना क्या है ? कॉलेस्ट्राल के लक्षण एवं रामबाण औषधीय घरेलु उपचार

क्या है कॉलेस्ट्राल ?

कॉलेस्ट्राल एक वसा जैसा घटक है, जो रक्त में परिसंचरण करता रहता है, सामान्य अवस्था में यह हमारे सरीर के लिए हानिप्रद भी नहीं है. सैल-मैम्ब्रन की समुचित देखरेख  के लिए ही हमारे सरीर में इसकी नितांत आवश्यकता होती है. चिकित्सा-विज्ञान के अनुसार हमारा सरीरी कुदरती ढंग से दो प्रकार के कॉलेस्ट्राल निर्मित करता है- प्रथम कॉलेस्ट्राल एलο डीο एलο है (L.D.L), जिसे बुरा कॉलेस्ट्राल भी कह दिया जाता है, क्यूंकि यह अत्यधिक मात्र में बड़ने पर धमनियों को अवरुद्ध करते हुए ह्र्दयघात की संभावनाओ को बढ़ता है, कॉलेस्ट्राल के अच्छे प्रकार को एचο डीο एलο (H.D.L) कहा जाता है.

कॉलेस्ट्राल की सामान्य मात्रा प्रति 100 मिलीलीटर सीरम में 150 से 250 मिलीग्राम तक सामान्य कॉलेस्ट्राल माना गया है.

अन्य नोर्मल वल्युज इस प्रकार है.–

एलο डीο एलο है (L.D.L)– 190 मिलीग्राम प्रतिशत से कम होनी चाहिए. आधुनिक विज्ञानं में 190 इसकी लिमिट कही गयी है, इस से ज्यादा हो तो फिर रोगी को l.d.l. को कम करने की दवा दी जाती है.

एचο डीο एलο (H.D.L)– 40 से 70 मिलीग्राम प्रतिशत या इस से ज्यादा होनी चाहिए.

कॉलेस्ट्राल बदने के प्रमुख कारण —

जैनेटिक फैक्टर अर्थात अनुवांशिक कारण
संतृप्त-वसा का अत्यधिक सेवन करना
शारारिक भर का अधिक बढना
धुम्रपान
परिश्रम का अभाव
लक्षण —

यद्यपि कॉलेस्ट्राल बडने में कोई सुस्पष्ट लक्षण नहीं होते है, लेकिन इसके कारण अन्य बिमारियों के लक्षण पैदा होने लगते है, जैसे एंजाइना
स्तर बहुत बढ़ा हुआ होने पर कुहनी और घुटनों पर तथा आँखों के निचे यलो-नोड्युल्स उभरने लगते है. लेकिन बहुत अधिक कॉलेस्ट्राल की मात्र के हमारे सरीर के लिए अस्वास्थ्यकर हो सकती है,
कॉलेस्ट्राल का घरेलु उपचार–

सुबह शाम खाली पेट लोकी का रस पियें, साथ में आंवले का रस भी सेवन करें, गौमूत्र का अर्क 30 ml. बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आधा कटोरी गुनगुने पानी के साथ घोलकर पियें. अमृत के समान लाभप्रद है. कद्दू का नियमित सेवन भी लाभ देता है इस से कॉलेस्ट्राल एवं ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है

क्या सेवन करने से बचे–

मक्खन, दूध से बनी हुई मिठाइयाँ एवं अन्यान्य खाद्य-पधार्थ, वनस्पति घी, पाम ऑइल, तले हुए पधार्थ, सफ़ेद चीनी, पॉलिश किया हुआ चावल, मांस, मदिरा-पान, धुम्रपान, अंडे, विविध फ़ास्ट फ़ूड, तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन करना, विविध शीतल पेय.

क्या सेवन करें–

विटामिन-C तथा विटामिन-E का नियमित सेवन करें.  विटामिन-C तथा विटामिन-E की कार्मुकता अर्थात प्रभाव को बढ़ा देता है, साथ ही यह सरीर के लिए लाभप्रद एचο डीο एलο (H.D.L) को भी बढ़ता है,
लौकी (घिया) आयुर्वेद के अनुसार मीठी लौकी का फल हर्दय के लिए असीम हितकारी होता है, इसके सेवन करने से हमारे सरीर में पित एवं कफ नमक दोष शांत होने लगते है खाने में यह स्वादिष्ट एवं वीर्य को भी बढ़ता है. शरीर की समस्त की समस्त धातुओ को पुष्टि प्रदन करता है. लौकी में आयोडीन, फासफोरस पाए जातें हैं, विटामिन-B & C भी इसमें प्रमुख मात्र में पायें जाते है.
आंवला कॉलेस्ट्राल के बढे हुए स्तरों को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर देता है, आंवले में पाए जाने वाले पैक्टिन रेशे धमनियों में जमे हुए कॉलेस्ट्राल को बाहर निकालते हुए, धमनियों की कठोरता को दूर करते है, वासा के जमाव को भी रोकते है. इन के सेवन से उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है, आंवले पे पाए जाए वाले रेशे हमारे शरीर में ओक्सिदेसन की प्रक्रिया को रोकते है, बैक्टीरिया एवं वायरस का प्रतिशोध करते हुए हमारे शरीर के प्रतिरोध तंत्र को भी शक्ति प्रदान करता है.
लहसुन और दिल का रिश्ता तो चोली और दमन जैसा है, धमनी-काठिन्य अर्थात आर्थरोस्क्लेरोसिस, हार्ट एन्लाग्मेंट, हार्ट फैल्योर, हाईपर-टेंसन इत्यादी विक्रतियो की यह रामबाण औषधि है. ईन सब पर एकपोथिया लहसुन आम लहसुन की अपेक्षा अधिक प्रभावी है. उल्लेखनीय है की लहसुन का सेवन किसी भी रूप में करने से रक्तगत कॉलेस्ट्राल का स्तर तेजी से गिरता है, परिणाम स्वरुप धमनी काठिन्य की सम्भावनाये काफी कम हो जाती है. लहसुन ब्लड प्रेसर को नियंत्रित करता है, इस के सेवन से ट्यूमर बनने की प्रक्रिया रूकती है.
आयुर्वेदिक औषधि गूगल भी बेहद लाभप्रद है. ध्यान रखे की किसी भी रूप में गूगल सेवन करने के आधा घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाएं.
कॉलेस्ट्राल को नियंत्रित करने के लिए अदरक भी बेमिसाल है. यह पोस्टाग्लेडिन तथा थ्रोम्बोक्सेन की उत्पत्ति पर प्रभावी ढंग से रोक लगती है, उल्लेखनीय है की जब हमारा शरीर अनियंत्रित रूप से पोस्टाग्लेडिन तथा थ्रोम्बोक्सेन का निर्माण करता है तो रक्त का थक्का बनने की क्षमता बढ़ जाती है.
इसबघोल के नियमित सेवन से भी कॉलेस्ट्राल नियंत्रित होता है. 5 से 10  ग्राम की मात्रा में इस की भूसी अर्थात हस्क का सेवन करें. तत्पश्चात पर्याप्त मात्रा में पानी पियें , ऊपर से अंगुरासव पिएं. नवीनतम अनुसंसाधन बताते है की इसबघोल विश्वशनीय ढंग से रक्तगत कॉलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है, विशेष रूप से एलο डीο एलο है (L.D.L) को जो विविध हर्दय रोगों का जनक मन जाता है.  इसबघोल पाचन-संस्थान में कॉलेस्ट्राल बहुत बाइल अर्थात पित्त का काफी हद तक सोखने को क्षमता रखती है, परिणाम स्वरुप रक्तगत कॉलेस्ट्राल भी नियंत्रित हो जाता है.
हल्दी पर किये गएँ अध्यन बताते है की इसे लोग जिनको आहार में प्रतिदिन एक ग्राम हल्दी का समावेश किया जाता है, उनका ट्राइग्लिसराइड एवं टोटल कॉलेस्ट्राल लेवल तीन से छे महीने में ही कम हो जाता है, हल्दी  “कॉलेस्ट्राल” को कम करने वाली दवाओ से किसी भी रूप में  कम नहीं है, हल्दी का सेवन करने से रक्त वाहिकाओ में वासा का जमाव नहीं होता है, फलस्वरूप हर्दय रोगों के पैदा होने की संभावनाएं बहुत ही कम हो  जाती है.
धनिया और जीरा को हजारो वर्षो से भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. उल्लेखनीय है की ये दोनों ही बेहतरीन एंटी-ओक्सीडेंट है, इनके नियमित सेवन करने से खून के ब्लोकेज अर्थात अवरोध आसानी से दूर हो जातें है, परिणाम स्वरुप व्यक्ति बाई-पास सर्जरी से बच जाता है.
विधि– 250 ग्राम धनिया दाना तथा 250 ग्राम जीरे को लेकर बारीक कपड-छान चूरण तैयार करें. 3 से 6 ग्राम की मात्र में यह चूरण सवेरे खालिपेट निराहार अवस्था में पानी के साथ सेवन करें. इसी प्रकार शाम को भी सेवन करें, इसके आगे पीछे एक घंटे तक कुछ भी सेवन न करें. अनेक बार अजमाया हुआ अचूक नुस्खा है.

अनार के रस का नियमित उपयोग भी लाभप्रद है. मेथी दाना, अंगूर, प्याज, किशमिश, त्रिफला, अर्थात हरड, बहेड़ा, आंवला, छाछ, भुने हुए काले चने, तुलसी की पतीयाँ भी इस विकार में ईस विकार में अमृत के समान लाभ देते है. भुने हुए चने रक्तचाप को नियंत्रित करने में बेजोड़ है. आयुर्वेद विशेषज्ञों की यह प्रबल मान्यता है की उच्च रक्तचाप के पीडितो को बराबर मात्र में गेहूं और काला चना मिलकर  पिसावकर चोकर सहित आटे से बनी रोटी रोटी का नित्य सेवन करना चाहिए यह करने से आप को दवा की जरुरत ही नाही रहेगी.
एलोवेरा-एलोवेरा का प्रयोग भी परम्परागत रूप से कॉलेस्ट्राल नियंत्रण हेतु सफलता पूर्वक किआ जाता रहा है. एलोवेरा के रस से नियमित सेवन से रक्तचाप अर्थात ब्लडप्रेशर नियंत्रित होता है, रक्त की शुधी हो कर रक्त प्रवाह बेहतर ढंग से होने लगता है. विशेष बात यह है की एचο डीο एलο (H.D.L) कॉलेस्ट्राल को बढाता है तथा ट्राइग्लिसराइड को कम करता है. इस के सेवन से हर्दय की दुर्बलता दूर होती है. इस में पाई जानेवाली गरमी तथा तीखेपन के कारण हर्दय धमनियों के अवरोध दूर होने लगते है, इसे हर्दय की सुजन भी कहते है.
अनार-प्रतिदिन एक गिलास अनार का रस पिने से जादुई ढंग से कॉलेस्ट्राल नियंत्रित होने लगता है.