Monday, January 23, 2017

आलू मसाला पूड़ी

आज आलू मसाला पूड़ी बनाएं

सामग्री:

– एक मध्यम आकार का उबला हुआ आलू
– एक चौथाई चम्मच हींग
– एक चौथाई चम्मच हल्दी
– एक चौथाई चम्मच जीरा
– 2 कप रिफाइंड ऑयल
– एक चम्मच हरी धनिया पत्ती
– एक कप आटा
– एक चौथाई चम्मच धनिया पाउडर
– एक चौथाई चम्मच लाल मिर्च पाउडर
– एक चौथाई चम्मच तिल
– नमक
– एक चौथाई चम्मच अजवायन

बनाने की विधि :

 आटे में मसले हुए आलू, लाल मिर्च, धनिया पाउडर, हींग, हल्दी, जीरा, अजवायन, तिल, धनिया पत्ती, नमक और थोड़ा तेल डालकर अच्छी तरह मिला लें।

– इन सभी चीजों को अच्छी तरह मिलाकर आटा गूथ लें।

 इस आटे के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें और पूड़ी के आकार में बेल लें। इन्हें सुनहरा होने तक तलें।

– इन पूड़ियों को आप सब्जी या अचार के साथ सर्व कर सकते हैं।

सुबह नाश्ते में बनाएं टेस्टी ‘आलू रोटी

सुबह नाश्ते में बनाएं टेस्टी ‘आलू रोटी

सामग्री-

250 ग्राम आलू उबले1 चम्मच गरम मसाला1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर1 बडा चम्मच चाट मसालानमक स्वादानुसारहरा धनियाहरी मिर्च1 कप मैदा1 चम्मच तेलगाजर कटे हुएप्याज़ कटे हुए

विधि-

मैदा, तेल, नमक और पानी मिला कर आटे को गूंध लें।बाकी सभी सामग्री को एक साथ मिला लें।गूंधे हुए आटे की बड़ी आकार की रोटी बेल कर हल्का सेंक लें।तैयार रोटी पर आलू का मिश्रण और गाजर व प्याज़ अच्‍छी तरह से फैला दें और उसे रोल बनाकर कर मैदे के पेस्ट से किनारों को बन्द कर दें।तैयार रोल को गरम तेल में तल लें।जब रोल अच्‍छी तरह से तल जाएं तो मनचाहे आकार में काट कर चटनी या फिर दही के साथ गर्मा-गर्म परोसें।

Tuesday, January 10, 2017

गोभी, गाजर, मटर का मिक्स अचार

आवश्यक सामग्री -
गोभी - 500 ग्राम (कटे हुये 2 1/2 कप )
गाजर - 500 ग्राम ( कटे हुये 2 1/2 कप)
हरे मटर के दाने या शलजम - 200 ग्राम ( 1 कप)
हींग - एक चने के दाने के बराबर
सरसों का तेल - 100 ग्राम ( आधा कप )
पीली सरसों - 2 टेबल स्पून (पिसी हुई)
हल्दी पाउडर - 1 छोटी चम्मच
लाल मिर्च पाउडर - 1 छोटी चम्मच
सिरका - एक टेबल स्पून (2 नीबू का रस)
नमक - स्वादानुसार ( 2 1/2 छोटी चम्मच)
विधि -
गोभी को बड़े बड़े टुकड़ों में काट लीजिये( पानी गरम कीजिये और 1 छोटी चम्मच नमक मिलाइये) इस पानी में गोभी के टुकड़े डाल कर, ढककर, 10 - 15 मिनिट के लिये रख दीजिये, अब गोभी को इस पानी से निकालिये और साफ पानी से धोइये. गाजर धोइये, छीलिये और फिर से धोइये अब इन गाजर के 2 इंच लम्बे पतले टुकड़े काट लीजिये. मटर छीलिये, दाने धो लीजिये.
किसी बर्तन में इतना पानी गरम करने रख दीजिये कि सब्जियां पूरी तरह डूब सकें, पानी में उबाल आने पर, सारी कटी हुई सब्जियां उबलते पानी में डालिये, 3 -4 मिनिट उबालिये और ढककर 5 मिनिट के लिये रख दीजिये.
सब्जियों का पानी किसी चलनी में छान कर निकालिये और सब्जी को किसी धुले मोटे कपड़े के ऊपर, डाल कर धूप में 4-5 घंटे सुखाइये.
जब सब्जियों में पानी बिलकुल न रहें तब इन्हैं एक बड़े बर्तन में डालिये, तेल को कढ़ाई में डालकर गरम कीजिये, तेल गरम होने के बाद गैस प्लेम बन्द कर दीजिये, तेल को हल्का गरम रहने पर, पीली सरसों, हल्दी पाउडर, नमक, लाल मिर्च, हींग पीस कर डालिये और सब्जियों में डालकर अच्छी तरह मिला दीजिये, सिरका या नीबू का रस भी मिला दीजिये.
अचार को सूखे हुये कांच या प्लास्टिक कन्टेनर में भर कर रख दीजिये, 2 दिन में 1 बार चमचे से अचार को ऊपर नीचे कर दीजिये. 3-4 दिन में यह अचार खट्टा और स्वादिष्ट हो जाता है.
गोभी, गाजर, मटर का अचार (mix vegetable pickle) तैयार है, अचार को कभी भी कन्टेनर से निकालिये और खाइये, यह अचार 1 महिने तक बिलकुल अच्छा रहता है, अधिक दिन चलाने के लिये, अचार को फ्रिज में रखा जा सकता है या अचार में इतना तेल डाल दीजिये कि अचार तेल में डूबा रहे.

Sunday, January 8, 2017

रवा (सूजी ) का केक

सामग्री
भुनी हुई सूजी (Roasted Semolina)- ½ कप
दूध (Milk) - 1 कप
मैदा (All Purpose Flour) - 1 कप
बेकिंग पाउडर (Baking Powder) - 1 चम्मच
बेकिंग सोडा (Baking Soda) - 1 चम्मच
नमक (Salt) - 1 चुटकी
चीनी (Sugar) - ¾ कप
बटर या घी (Butter) - ⅓ कप
वेनिला एसेंस (Vanilla essence) - 1 चम्मच
काजू (Cashew) - 1 बड़ा चम्मच (कटा हुआ)
किशमिश (Raisins) - ¼ कप
विधि
भुनी हुई सूजी को 1 कप दूध में 10 मिनिट के लिए भिगो कर रख दें।
माइक्रोवेव को 180 डिग्री C पर प्रीहीट कर लें।
एक बर्तन में मैदा, भीगी हुई सूजी और दूध को अच्छे से मिला लें।
मैदा और सूजी में बटर, चीनी, वनीला एसेंस, एक चुटकी नमक, काजू और किशमिश डाल कर अच्छे से मिलाएं।
मिश्रण में बेकिंग पाउडर और बेकिंग सोडा डाल कर मिलाएं। बैटर को ज़्यादा फेंटे नही।
बैटर अगर ज़्यादा गाढ़ा लगे तो कुछ चम्मच दूध मिला कर केक के लिए बैटर तैयार कर लें। बैटर ना ज़्यादा गाढ़ा हो और पतला भी ना हो।
तैयार बैटर को बटर से ग्रीस किए हुए माइक्रोवेव सेफ काँच के बर्तन में डालें।
प्रीहीट किए हुए माइक्रोवेव में बैटर को रखें और 180 डिग्री C पर ३० से ३५ मिनिट के लिए बेक करें।
केक में टूथपिक या चाकू मार कर चेक करें की केक तैयार है की नही। टूथपिक या चाकू साफ़ बाहर आने पर समझे की केक तैयार है।
केक को सामान्य तापमान पर ठंडा कर लें।
स्वादिष्ट सूजी के केक को ठंडा कर के उसका आनंद लें।

Saturday, January 7, 2017

गोखरू पुरुषो और महिलाओ के रोगो के लिए रामबाण औषिधि

गोखरू के फूल पीले रंग के होते है जो सर्दी के मौसम में उगते हैं। इसके कांटे छूरे की तरह तेज होते हैं इसलिए इसे गौक्षुर कहा जाता है। इसके बीजों से सुगंधित तेल निकलता है। इसकी जड़ 10 से 15 सेंटीमीटर लम्बी होती है तथा यह मुलायम, रेशेदार, भूरे रंग की ईख की जड़ जैसी होती है। उत्तर भारत मे, हरियाणा, राजस्थान मे यह बहुत मिलता है। गोखरू का सारा पौधा ही औषधीय क्षमता रखता है । फल व जड़ अलग से भी प्रयुक्त होते हैं।
गोखरू की प्रकृति गर्म होती है। यह शरीर में ताकत देने वाला, नाभि के नीचे के भाग की सूजन को कम करने वाला, वीर्य की वृद्धि करने वाला,वल्य रसायन, भूख को तेज करने वाला होता है, कमजोर पुरुषों व महिलाओं के लिए एक टॉनिक भी है। यह स्वादिष्ट होता है। यह पेशाब से सम्बंधित परेशानी तथा पेशाब करने पर होने वाले जलन को दूर करने वाला, पथरी को नष्ट करने वाला, जलन को शान्त करने वाला, प्रमेह (वीर्य विकार), श्वांस, खांसी, हृदय रोग, बवासीर तथा त्रिदोष (वात, कफ और पित्त) को नष्ट करने वाला होता है। तथा यह मासिकधर्म को चालू करता है। यह दशमूलारिष्ट में प्रयुक्त होने वाला एक द्रव्य भी है । यह नपुंसकता तथा निवारण तथा बार-बार होने वाले गर्भपात में भी सफलता से प्रयुक्त होता है ।
गोखरू सभी प्रकार के गुर्दें के रोगों को ठीक करने में प्रभावशाली औषधि है। यह औषधि मूत्र की मात्रा को बढ़ाकर पथरी को कुछ ही हफ्तों में टुकड़े-टुकड़े करके बाहर निकाल देती है।
गोखरू का फल बड़ा और छोटा दो प्रकार का होता है। । दोनों के फूल पीले और सफेद रंग के होते हैं। गोखरू के पत्ते भी सफेद होते हैं। गोखरू के फल के चारों कोनों पर एक-एक कांटा होता है। छोटे गोखरू का पेड़ छत्तेदार होता है। गोखरू के पत्ते चने के पत्तों के समान होते हैं। इसके फल में 6 कांटे पाये जाते हैं। कहीं कहीं लोग इसके बीजों का आटा बनाकर खाते हैं।
वैद्यक में इन्हें शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, दीपन और काश, वायु, अर्श और ब्रणनाशक कहा है।
यह शीतवीर्य, मुत्रविरेचक, बस्तिशोधक, अग्निदीपक, वृष्य, तथा पुष्टिकारक होता है। विभिन्न विकारो मे वैद्यवर्ग द्वारा इसको प्रयोग किया जाता है।मुत्रकृच्छ, सोजाक, अश्मरी, बस्तिशोथ, वृक्कविकार, प्रमेह, नपुंसकता, ओवेरियन रोग, वीर्य क्षीणता मे इसका प्रयोग किया जाता है।
गर्भाशय को शुद्ध करता है तथा वन्ध्यत्व को मिटाता है । इस प्रकार यह प्रजनन अंगों के लिए एक प्रकार की शोधक, बलवर्धक औषधि है ।
यह ब्लैडर व गुर्दे की पथरी का नाश करता है तथा मूत्रावरोध को दूर करता है । मूत्र मार्ग से बड़ी से बड़ी पथरी को तोड़कर निकाल बाहर करता है ।
इसका प्रयोग कैसे करे
इसके फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम, दिन में 2 या 3 बार । पंचांग क्क्वाथ- 50 से 100 मिली लीटर ।
पथरी रोग में गोक्षुर के फलों का चूर्ण शहद के साथ 3 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम दिया जाता है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
सुजाक रोग (गनोरिया) में गोक्षुर को घंटे पानी में भिगोकर और उसे अच्छी तरह छानकर दिन में चार बार 5-5 ग्राम की मात्रा में देते हैं । किसी भी कारण से यदि पेशाब की जलन हो तो गोखरु के फल और पत्तों का रस 20 से 50 मिलीलीटर दिन में दो-तीन बार पिलाने से वह तुरंत मिटती है । प्रमेह शुक्रमेह में गोखरू चूर्ण को 5 से 6 ग्राम मिश्री के साथ दो बार देते हैं । तुरंत लाभ मिलता है ।
मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं । प्रदर में, अतिरिक्त स्राव में, स्री जनन अंगों के सामान्य संक्रमणों में गोखरू एक प्रति संक्रामक का काम करता है । स्री रोगों के लिए 15 ग्राम चूर्ण नित्य घी व मिश्री के साथ देते हैं । गोक्षरू मूत्र पिण्ड को उत्तेजना देता है, वेदना नाशक और बलदायक है । इसका सीधा असर मूत्रेन्द्रिय की श्लेष्म त्वचा पर पड़ता है ।
गोक्षुर चूर्ण प्रोस्टेट बढ़ने से मूत्र मार्ग में आए अवरोध को मिटाता है, उस स्थान विशेष में रक्त संचय को रोकती तथा यूरेथ्रा के द्वारों को उत्तेजित कर मूत्र को निकाल बाहर करता है । बहुसंख्य व्यक्तियों में गोक्षुर के प्रयोग के बाद ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं रह जाती । इसे योग के रूप न देकर अकेले अनुपान भेद के माध्यम से ही दिया जाए, यही उचित है, ऐसा वैज्ञानिकों का व सारे अध्ययनों का अभिमत है ।
इसका सेवन आप दवा के रूप में या सब्जी के रूप में भी कर सकते हैं। गोखरू के फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 या 3 बार सेवन कर इसका काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर तक सेवन कर सकते हैं। गोखरू की सब्जी तबियत को नर्म करती है, शरीर में खून की वृद्धि करती है और उसके दोषों को दूर करती है। यह पेशाब की रुकावट को दूर करती है तथा मासिकधर्म को शुरू करती है। सूजाक और पेशाब की जलन को दूर करने के लिए यह लाभकारी है।
आचार्य चरक ने गोक्षुर को मूत्र विरेचन द्रव्यों में प्रधान मानते हुए लिखा है-गोक्षुर को मूत्रकृच्छानिलहराणाम् अर्थात् यह मूत्र कृच्छ (डिसयूरिया) विसर्जन के समय होने वाले कष्ट में उपयोगी एक महत्त्वपूर्ण औषधि है । आचार्य सुश्रुत ने लघुपंचकमूल, कण्टक पंचमूल गणों में गोखरू का उल्लेख किया है । अश्मरी भेदन (पथरी को तोड़ना, मूत्र मार्ग से ही बाहर निकाल देना) हेतु भी इसे उपयोगी माना है । 
श्री भाव मिश्र गोक्षुर को मूत्राशय का शोधन करने वाला, अश्मरी भेदक बताते हैं व लिखते हैं कि पेट के समस्त रोगों की गोखरू सर्वश्रेष्ठ दवा है । वनौषधि चन्द्रोदय के विद्वान् लेखक के अनुसार गोक्षरू मूत्र पिण्ड को उत्तेजना देता है, वेदना नाशक और बलदायक है ।
इसका सीधा असर मूत्रेन्द्रिय की श्लेष्म त्वचा पर पड़ता है । सुजाक रोग और वस्तिशोथ (पेल्विक इन्फ्लेमेशन) में भी गोखरू तुरंत अपना प्रभाव दिखाता है ।
श्री नादकर्णी अपने ग्रंथ मटेरिया मेडिका में लिखते हैं-गोक्षुर का सारा पौधा ही मूत्रल शोथ निवारक है । इसके मूत्रल गुण का कारण इसमें प्रचुर मात्रा में विद्यमान नाइट्रेट और उत्त्पत तेल है । इसके काण्ड में कषाय कारक घटक होते हैं और ये मूत्र संस्थान की श्लेष्मा झिल्ली पर तीव्र प्रभाव डालते हैं ।
होम्योपैथी में श्री विलियम बोरिक का मत प्रामाणिक माना जाता है । विशेषकर वनौषधियों के विषय में वे लिखते हैं कि मूत्र मार्ग में अवरोध, वीर्यपात, प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन व अन्य यौन रोगों में गोखरू का टिंक्चर 10 से 20 बूंद दिन में तीन बार देने से तुरंत लाभ होता है ।
सावधानी  :
गोखरू का अधिक मात्रा में सेवन ठण्डे स्वभाव के व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। गोखरू का अधिक मात्रा का सेवन करने से प्लीहा और गुर्दों को हानि पहुंचती है और कफजन्य रोगों की वृद्धि होती है।
गोखरू की सब्जी का अधिक मात्रा में सेवन प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक हो सकता है।

मलाई कोफ्ता बनाने की विधि

आवश्यक सामग्री कोफ्ते के लिये :

पनीर 250 ग्राम
आलू 2  उबले हुये
काजू 6-7 बारीक टुकड़े काट लीजिये
किशमिश 10-15
नमक स्वादानुसार
अरारोट 2- 3 टेबिल स्पून
तेल कोफ्ते तलने के लिये
तरी बनाने के लिये :

प्याज़ 2 मध्यम आकार के
लहसुन  4 कली
दही - एक कप
टमाटर 3-4
हरी मिर्च 2
अदरक 1 इंच लम्बा टुकड़ा
तेल 1-2 टेबिल स्पून
हींग – 2 पिंच
जीरा आधा छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर आधा छोटी चम्मच
धनियां पाउडर 1 छोटी चम्मच
मिर्च पाउडर 1/4 छोटी चम्मच
क्रीम या मलाई आधा कप
गरम मसाला एक चौथाई छोटी चम्मच से कम
हरा धनियां — 1 टेबिल स्पून बारीक कटा हुआ
बनाने की विधि :

पनीर को कद्दूकस कर लीजिये.
आलू को भी छील कर कद्दूकस कर लीजिये पनीर, आलू, अरारोट और नमक को मिला कर, हाथ से मल मल कर आटे की तरह गूथ लीजिये.
मिश्रण से एक नीबू के बराबर गोले बना लीजिये इन गोलों में एक – एक किशमिश और बारीक काजू भर कर सारे गोले बना लीजिये.
अब एक कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये. गोलों को एक एक करके कढाई में डालिये. 4-5 कोफ्ते एक बार में तल लीजिये.
इन्हें सुनहरा होने तक तल लीजिये. इसी तरह सारे कोफ्ते तलिए.
सब्जी की तरी तैयार करने के लिये :

प्याज़, लहसुन, टमाटर, हरी मिर्च और अदरक, मिक्सी से बारीक पीस लीजिये.
कढाई में तेल डाल कर गरम करिये. गरम तेल में हींग, जीरा डालिये. जीरा भुनने के बाद, हल्दी पाउडर, धनियां पाउडरडाले.
अब इसमें पिसा हुआ पेस्ट डाल कर तब तक भुनिये जब तक तेल न छोड़ दे.
अब इसमें मिर्च पाउडर भी डाल दीजिये, दही डालिये दो मिनट भूनिए.
अब इस मसाले में क्रीम या मलाई डालिये और मसाले को जब तक भूनिये तब तक कि मसाले के ऊपर तेल तैरता न दिखाई देने लगे.
मसाले में 2 कप पानी डाल दीजिये.  तरी को उबाल आने तक चमचे से चलाते रहें.
तरी में गरम मसाला और नमक भी डाल दीजिये, उबाल आने तक पकाइए पनीर कोफ्ते के लिये तरी तैयार है.
तरी में कोफ्ते डाल कर मिला दीजिये, आग बन्द कर दीजिये और सब्जी को 2-3 मिनट के लिये ढक कर रख दीजिये.
मलाई कोफ्ता तैयार है हरे धनिये और क्रीम से सजा के गरमा गरम रोटी या चावल के साथ परोसिये.

Friday, January 6, 2017

तिल वाली गचक


तिल वाली चिक्की बनाने की सामग्री

तिल आधा कपगुड़ किसा हुआ 1/4 कपबादाम कतरे हुए आधा कपघी 1 चम्मचथोड़ा सा घी चिकनाई के लिए

तिल वाली चिक्की बनाने की विधि

कम आँच पर तिलों को हल्का सा कुछ मिनटों तक भून ले या हल्का सुनहरा होने तक भून ले।फिर आँच से उतार के इसको ठंडा होने के लिए एक तरफ रख दे, फिर इसी तरह बादाम को भी भून ले।एक समतल प्लेट को उल्टी तरफ से थोड़ा सा घी ले कर चिकना कर ले और एक तरफ रख दें।अब एक बर्तन में घी को गर्म कर ले और गरम होने पर उस में गुड़ डाल दे।धीमी आँच पर गुड़ को पिघला ले और अच्छे से पका ले ताकि जब इस मिश्रण को थोड़ा सा पानी में डाले तो यह एक गोल आकार ले लें।गुड़ अच्छे से पिघल जाए तो इसमें तिल और बादाम डाल कर अच्छे से मिला दे। आगे इस मिश्रण को चिकनाई युक्त प्लेट पर फैला दे। और किसी भारी चिकना की हुई बेलन यह किसी और औजार से इसको आचे से फैला दे।कुछ देर के बाद जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए, इसको चोकर आकार में कट कर ले और लीजिए आपकी गुड वाली चिक्की तैयार हैं

Monday, January 2, 2017

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्णय

किसी परिवार के बिखरने में ज्यादातर पुरुषों से सम्बंधित कारण बताया जाता है कि पुरुषों की बुरी आदतों और क्रूर स्वभाव के वजह से महिलाएं एक सफल दाम्पत्य जीवन निर्वाह नहीं कर पाती हैं और शादी के कुछ साल बाद ही तलाक तक की नौबत आ जाती है या पती पत्नी बिना तलाक के ही अलग अलग रहना शुरू कर देते हैं !
दिक्कत मुख्य रूप से तब शुरू होती है ………………. जब कोई लड़की शादी के बाद भी काम नहीं करना चाहती और जब ससुराल के लोग उसकी लापरवाही से तंग आकर उस पर उसकी जिम्मेदारियों का पूरा करने का दबाव बनाते हैं तो वो घर में रोज नए नए तरह के झगड़े, नाटक, प्रपंच करती है जिससे ससुराल के लोग परेशान, उबकर या डरकर कर उससे काम करने के लिए कहना ही छोड़ दें !

ऐसी लड़कियां काम इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि उन्होंने कभी अपने मायके में जिम्मेदारी से काम किया ही नहीं होता है !

मायके में जिम्मेदारी से काम इसलिए नहीं किया होता है क्योकि मायके में लड़की के माता पिता ने लड़की को हमेशा लाड प्यार से यह सोचकर रखा कि बेचारी एक दिन ससुराल को चली जाएगी और वहां तो उसे काम करना ही पड़ेगा ………. पर …………. लड़की के माता पिता ये भूल गए जिस बच्चे को बचपन में मेहनत करने की आदत नहीं डाली गयी उसे बड़े होकर काम करने में बहुत मानसिक तकलीफ महसूस होती है जिसकी वजह से उसे आसान से आसान काम भी कठिन लगता है !

अतः ऐसी कामचोर लड़कियां अपनी जिम्मेदारियों को टालने के लिए कई घंटा बिना थके हुए मुंह से लड़ तो सकती हैं पर क्या मजाल कि काम करने के लिए वो थोड़ा सा भी अपना हाथ पैर चला दें ! ऐसी लड़कियां ना जाने कैसे नजरंदाज कर लेती है इस बात को कि एक तरफ उनका पति है जो शादी के बाद जाड़ा, गर्मी, धूप, बरसात हर मौसम में बाहर जाकर, अपना पूरा टैलेंट झोककर और काफी तनाव सोखकर किसी ना किसी तरीके से मेहनत से पैसा कमा कर घर ला रहा है और एक तरफ वो हैं कि जिन्हें घर के साफ़ सुथरे आरामदायक माहौल में ही रहकर रोजमर्रा के फिक्स काम करने होते हैं तो भी पता नहीं क्यों उन्हें यह बहुत भारी लगता है !

समाज में जहाँ एक तरफ पतियों और ससुराल के द्वारा बहुओं पर अत्याचार की घटनाएँ देखने को मिलती रहीं हैं वहीँ दूसरी तरफ अब बहुओं के द्वारा पति और ससुराल के ऊपर होने वाले अत्याचारों की भी बहुत सी घटनाएँ रोज ही देखने को मिल रहीं हैं !

महिलाएं शारीरिक ताकत में पुरुषों से आम तौर पर कमजोर होती हैं इसलिए एक साधारण सामाजिक मान्यता है कि एक कमजोर स्त्री, अपने से ज्यादा ताकतवर पुरुष पर कैसे अत्याचार कर सकती है !

पर किसी को प्रताड़ित करने के लिए शारीरिक ताकत ही एक मात्र जरिया नहीं होता है !

अक्सर ऐसी घटनाएँ अख़बारों में देखने को मिलती है जब पत्नियों के द्वारा बार बार दी जाने वाली मानसिक प्रताड़ना से आखिरी परेशान होकर पति कोई आत्मघाती गलत कदम उठा लेते हैं !

जहाँ लड़कों को शादी करने से पहले यह समझने की जरूरत है की शादी का असल मतलब है क्या ……… वहीँ ……. ठीक यही चीज लड़कियों को भी अच्छे से समझने की जरूरत है !

जैसे शादी के बाद, कोई सभ्रांत घर का लड़का पहले की तरह आराम फरमा नहीं सकता, बल्कि उसे कहीं ना कहीं से पैसा कमाना ही कमाना है क्योंकि शादी के बाद पैसा कमाना उसकी मजबूरी हो चुकी होती है, नहीं तो बीवी व समाज रिश्तेदारी के अन्य लोग भी, उसे लापरवाह, नालायक आदि शब्दों के ताने मारतें हैं ……………………. ठीक इसी तरह शादी के बाद हर हाउस वाइव्स महिलाओं को घर के अन्दर की हर जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से जरूर सम्भाल लेना चाहिये, ना कि दिन भर बैठ कर टी वी देखने, दोस्तों और मायके फोन से बात करने या घूमने फिरने आदि में ही पूरा दिन बर्बाद कर देना चाहिए !
इस तरह से देखा जाय तो असली दोषी ऐसी बहुओं के हर वे माँ बाप होते हैं, जो अपनी बेटी में बचपन से लेकर शादी तक जिम्मेदारी का भाव पैदा करने की बजाय सिर्फ लाड, प्यार, दुलार देकर पालते हैं जिससे बीतते समय के साथ सिर्फ लड़की का शरीर ही बड़ा होता है पर उसके मन में पलने वाली अधिकांश भावनाएं अभी भी छोटी (अर्थात नकचढ़ापन, चिडचिडापन, आलस्य, पग पग पर शरारती बच्चों की तरह काल्पनिक मनगढ़न्त झूठ बोलने की आदत, अपनी हर गलती के लिए सिर्फ दूसरों को दोष देना आदि आदि) रहती हैं !

अपनी लड़की को सही परवरिश देने की बजाय सिर्फ लाड प्यार से उसकी आदत बिगाड़ देने वाले माता पिता को, निश्चित उस लड़की के ससुराल वालों की हाय लगती है, जब जब वो लड़की अपनी बुरी आदतों से अपने ससुराल वालों का दिन रात मेंटली टार्चर करती है !

ऐसी ही लड़कियों को सुसराल में मामूली खाना पीना बनाने के लिए भी नौकरानी या किसी अन्य महिला का साथ चाहिए होता है, भले ही वो नौकरानी बहुत गन्दगी और अशुद्धता से खाना बनाये ! नौकरानी या किसी अन्य महिला का सहयोग ना मिले तो ये चाय जैसी मामूली चीज भी समय से नहीं दे सकती !

ऊपर से तुर्रा यह कि पति (husband) इन्हें नियम से घुमाने के लिए बाहर ले जाय या रेस्टोरेंट में खाना खिलाये, नहीं तो पति के ऊपर ये आरोप लगता है कि पति तो इनका कोई ख्याल रखता ही नहीं, पर इन्हें यह कभी समझ में नहीं आता कि वास्तव में पति उनके झगडालू व कामचोर स्वभाव से इतना तंग आ चुका होता है कि उसे उनकी सिर्फ शक्ल देखकर ही बुखार आने लगता है तो साथ में रेस्टोरेंट जाना तो बहुत दूर की बात होती है !

ये लड़कियां अपने छोटे छोटे बच्चों तक की देखभाल भी ठीक से तभी कर पाती हैं जब इन्हें नौकरानी या घर के किसी अन्य महिला की मदद मिल पाए !

इन्हें अपने बच्चों को खुश करने का सबसे आसान तरीका यही आता है की बच्चे को बाजार लेकर जाओ और उसे महंगे दिखने वाले चाकलेट्स, टॉफी, नूडल्स, पिज्जा बर्गर, ड्रेस, खिलौने आदि खरीदवा दो जिससे बच्चे के मुंह से तुरंत “स्वीट माँम” “बेस्ट माँम” आदि का खिताब पा जाओ, पर मेहनत करके घर का ताजा शुद्ध खाने का सामान बना कर बच्चे को ना दो !

ऐसी लड़कियों को अगर नौकरानी ना मिल पाए तो इन्हें अपने पति और बच्चों के आलावा किसी और (जैसे ससुराल के अन्य सदस्यों) के लिए रोज रोज खाना नाश्ता बनाना बड़ा भारी बोझ लगने लगता है तो वो इससे मुक्ति पाने के लिए अपने पति के मन में लगातार तब तक सास, ससुर, जेठ, देवर, भाभी, ननद आदि अन्य पारिवारिक सदस्यों के लिए कड़वाहट भरती जाती हैं, जब तक की उनका पति अपने माता पिता से अलग घर लेकर रहना शुरू ना कर दे !
वो भूल जाती हैं की अपने छोटे से फायदे के लिए, सास ससुर से उनके बेटे को या देवर जेठ से उनके भाई को अलग करके कितना बड़ा पाप कर रही हैं और ऐसे पाप की नींव पर बसा उनका नया घर कैसे सुखी रह सकता है ?

ऐसी लड़कियां घर के कामों (जैसे खाना बनाना, साफ़ सफाई, बच्चों को पालना) को घटिया और समय की बर्बादी मानती हैं !

कई बार ऐसा भी देखा गया है की ऐसी लड़कियों की स्वच्छंद हरकतों का अगर ससुराल वाले विरोध करतें है तो ये लड़कियां अपने ससुराल वालों पर फर्जी दहेज़ प्रताड़ना का पुलिस केस कर देतीं है जिससे बूढ़े सास ससुर भाभी देवर ननद आदि सब पहुँच जाते हैं जेल के अन्दर !

कोई निर्दोष शरीफ आदमी अगर एक दिन के लिए भी जेल चला जाय तो वो इतना ज्यादा दुःख महसूस करता है की उसकी याद लम्बे समय तक उसे अंदर ही अंदर दुखी करती रहती हैं !

भारत जैसे संस्कारी देश में बहुओं के द्वारा होने वाली इस तरह की अराजकताओं के बारे में पहले यदा कदा सुनने को मिलता था पर अब इस तरह की घटनाएं अक्सर (खासकर मध्यम वर्गीय परिवारों में) सुनने को मिल रहीं हैं !

………………. इन्ही सब बढती घटनाओं की वजह से सुप्रीम कोर्ट को ऐतिहासिक निर्णय देना पड़ा कि, पत्नी द्वारा पति को माता पिता से अलग रहने के लिए मजबूर करना एक तरह की क्रूरता है और केवल इसी आधार पर तलाक़ की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकती है !

ज्यादातर रिच फॅमिली बैक ग्राउंड जो अपने आप को हाई सोसाइटी के भी समझते हैं, उनके घर के सीनियर्स का अपने बहुओं से तो खाना बनाने या घर की साफ़ सफाई जैसे कार्य की अपेक्षा नहीं होती है लेकिन इसी वजह से उनके साथ अक्सर दूसरे किस्म की समस्याओं के बारे में सुनने को मिलती है अगर वो वर्किंग नहीं है तो (जिन्हें जानने के लिए नीचे दिए आर्टिकल्स के लिंक खोलें) !

ऊपर लिखी महिलाओं की केटेगरी के अलावा समाज में ऐसी भी बहुत सी समझदार महिलाएं हैं जो शादी के बाद जिस घर में पहुचती है उस घर का मानो भाग्य खुल जाता है ! ऐसी सच्ची मेहनती महिलायें जिस घर में जाती हैं उस घर के छोटे बड़े सबका दिल से बहुत ख्याल और सम्मान रोज करती है ! बिना किसी पक्षपात, भेदभाव या चालाकी के ये सबके खाने पीने और अन्य पहलुओं का भी बहुत समय और सावधानी से ख्याल रखती हैं ! इनके इसी समर्पण के महान भाव की वजह से ही इन्हें ससुराल में खूब आदर सम्मान मिलता हैं ! ससुराल का हर आदमी चाहता है की ऐसी महान बहू को क्या अच्छे से अच्छा गिफ्ट खरीद कर दे दें जिससे वो हमेशा खुश रहें !

वहीँ दूसरे तरफ जब कोई ऐसी स्वार्थी लड़की जिसे दूसरों की इच्छाओं की कद्र नहीं है और जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ उसकी अपनी लाइफ की इच्छाएं ही सर्वोपरि हैं, शादी के बाद ससुराल पहुचती है तो उस लड़की को ससुराल का हर वो वो आदमी अपना दुश्मन लगता है जो उसे कोई अच्छी बात सिखाता है !

ऐसी लड़कियां जब समझ जाती हैं की ससुराल में बिना काम किये गुजारा नहीं है और ना ही कोई काम वाली ढंग की नौकरानी भी मिल रही तो वो ससुराल से जल्द से जल्द मुक्ति पाने के लिए तरह तरह की खुरापाती साजिश रचने से भी बाज नहीं आती हैं !

कुछ पति समझदार होते हैं इसलिए वो अपनी पत्नी की चालबाजियों को तुरंत समझ जाते हैं जिससे उसे नजरअंदाज करते हैं या ऐसी कुत्सित बुद्धि वाली पत्नी से एकदम मानसिक दूरी बना लेते हैं, पर कुछ पति अपनी पत्नी के बहकावे में आ जाते हैं और घर से अलग जा कर रहने लगते हैं, हालाँकि की कई बार देखा गया है की पत्नी को लेकर अलग हो जाने वाले पति बहुत जल्द ही आर्थिक तंगी या मानसिक क्लेश झेलने लगते हैं और कुछ दिन बाद ही माफ़ी मांगकर वापस अपने घर में आ जाते हैं, लेकिन वापस आने पर दुबारा वो सम्मान और प्रेम नहीं मिलता है जो पहले मिला करता था !

इसलिए अलग होने से पहले 100 बार सोचना चाहिए !

हालाँकि इस कलियुग कुछ ऐसे भी उदाहरण देखने को मिलते है जब किसी स्वार्थी मौकापरस्त लड़के की शादी किसी ऐसी स्वार्थी लड़की से हो जाती है जो लड़के से ज्यादा पढ़ी लिखी या धनी या सुन्दर हो तो वो लड़का अपनी पत्नी के कामचोर झगडालू होने के बावजूद भी इस कदर अपनी पत्नी का पिछलग्गू हो जाता है कि वो अपनी पत्नी को अधिक से अधिक खुश करने के लिए ……………………… या तो खुद ही अपने माँ बाप का घर छोडकर, कहीं दूसरी जगह किराए पर रहने लगता है या नौकरी बिजनेस के नाम पर अपनी पत्नी को लेकर किसी दूसरे शहर निकल लेता है या अपने ही माँ बाप को अपनी बीवी के हाथों इतना मेंटली टॉर्चर भी करवा सकता है कि माँ बाप खिन्न होकर अपना ही घर छोडकर कहीं और शिफ्ट हो जाते हैं ………………… पर यह कलियुगी लड़का साथ ही इस बात का भी ध्यान रखता है कि कोई रिश्तेदार कभी उस लड़के की अपने माता पिता के प्रति की गयी दगाबाजी पर उंगली ना उठाने पाए इसलिए वो लड़का खुद ही पूरी रिश्तेदारी में अपने माँ बाप पर ही मनगढ़ंत आरोप लगाने लगता है कि …………. उसके माँ बाप पुरानी दकियानूसी मानसिकता के हैं, शादी के बाद से ही उनकी नजर मेरे प्रति बदल चुकी है, अब उनमे वो पहले जैसा प्यार मेरे लिए नहीं रहा, बेवजह ही वे हमेशा मेरी पत्नी के पीछे पड़े रहतें हैं, उन्हें तो इतनी अच्छी बहू की कोई कद्र ही नहीं हैं आदि आदि !

खैर ऐसे अहसान फरामोश लड़कों के बारे में बात ही करना व्यर्थ है क्योंकि जो अपने को पैदा करने वाले माँ बाप का सगा ना हो सका, वो क्या कभी किसी दूसरे (चाहे वो बीवी ही क्यों ना हो) का निःस्वार्थ रूप से सगा हो पायेगा ………………. ऐसे लड़के का जब तक उसकी बीवी से विशेष स्वार्थपूर्ती होती रहती है, चाहे वो बीवी के मायके से मिलने वाली चल संपत्ति (धन आदि) के रूप में मदद हो या अचल संपत्ति (मकान, जमीन आदि) के रूप में मदद हो तभी तक वो लड़का अपनी बीवी का विशेष ध्यान रखता है पर जैसे ही मदद की संभावना ख़त्म हो जाती है वैसे ही बीवी भी उसके लिए उसके माँ बाप के समान यूज़लेस हो जाती है !

कुल मिलाकर, अंततः निष्कर्ष यही है कि किसी सभ्रांत समाज में …….. लड़का हो या लडकी, जब तक उसकी शादी ना हुई हो तब तक तो उसका आराम मौज मस्ती ऐय्याशी उसका परिवार व उसका समाज बर्दाश्त कर लेता है ……….. पर ………… जैसे ही उसकी शादी हो जाती है उसकी कामचोरी की आदत की चारो ओर निश्चित ही निन्दा होने लगती है !

और यह सही भी है क्योंकि भगवान ने हमें शरीर दी है जम कर मेहनत करने के लिए, ना कि यार दोस्तों के साथ बैठकर निरर्थक गपशप करने के लिए !

हमारे अनन्त वर्ष पुराने सनातन धर्म में नारी को इसलिए पुरुषों से ज्यादा महान कहा गया है क्योंकि नारी, शक्ति स्वरूपा है और चूंकि शक्ति अपने में अस्थिर होती है इसलिए उसे कोई पुरुष धारण करता है जिससे पुरुष शक्तिमान बन पाता है !

यह गूढ़ प्रकिया यह भी साबित करती है कि पुरुष खुद कुछ भी नहीं है अगर वो शक्ति का साथ ना पाए तो !

नारी और पुरुष अपने अंदर अपने मूलभूत मानवीय गुणों का ह्रास ना होने दें तभी एक परिवार सुखी रह पायेगा अन्यथा नहीं !

और बहुत गम्भीरता से समझने की जरूरत है कि …………. एक सुखी देश का निर्माण, बिना सुखी परिवारों के सम्भव नही हैं !

इसलिए किसी देश की सबसे छोटी इकाई अर्थात परिवार को कैसे बिना किसी लड़ाई, झगड़े, कलह आदि के, एकदम सुखपूर्वक, सतत उन्नति के मार्ग पर बढ़ाया जा सके, इस कला को भी भारत सरकार को हर शिक्षण संस्थान में अनिवार्य रूप पढ़ाना शुरू कर देना चाहिए !