Wednesday, July 26, 2017

फिटकरी और मिश्री का ये चमत्कारी मिश्रण अस्थमा को जड़ से ख़त्म कर देगा, श्वास के सभी रोगों में फ़ायदेमंद

फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक,आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है।रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
दाढ़ी बनाने, बाल काटने के बाद फिटकरी रगडे़ या पानी में गीला कर दाढ़ी पर लगायें। इससे दाढ़ी की त्वचा सुन्दर और स्वस्थ होती है। जहां पर चींटिया व दीमक हो वहां पर सरसों का तेल लगाकर फिटकरी को डालने से चींटियां व दीमक वहां नहीं आती है।

सामग्री:
फिटकरी: 50  ग्राम
मिश्री: 50 ग्राम

दवा  बनाने की विधि :
आग पर फुलाई हुई फिटकरी 20 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम इन दोनों को पीसकर रख लें। इस चूर्ण को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
फूली हुई फिटकरी 120 मिलीग्राम की मात्रा में मुंह में डाल लें और चूसते रहें। इससे न कफ बनता है और न ही दमा रोग होता है।
फूली हुई फिटकरी और मिश्री 10-10 ग्राम पीसकर रख लेते हैं। इसे दिन में एक-दो बार डेढ़ ग्राम की फंकी ताजा पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पुराना दमा भी ठीक हो जाता है। दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए। मक्खन निकला हुआ मट्ठा तथा सब्जियों के सूप (रस) आदि लेना चाहिए।
पिसी हुई फिटकरी एक चम्मच, आधा कप गुलाबजल में मिलाकर सुबह-शाम पीने से दमा ठीक हो जाता है।
परहेज:
दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए।

Tuesday, July 25, 2017

बांझपन दूर कर गर्भ धारण करने के अचूक राजा महाराजाओ के नुस्खे !

कस्तूरी 2 रत्ती, अफीम, केसर, जायफल प्रत्येक एक एक ग्राम भांग के पत्ते 250 मिलीग्राम तथा पुराना गुड़, सफेद कत्था प्रत्येक छह ग्राम, सुपारी गुजराती 3 नग एवं लौंग 4 नग लें। सभी औषधियों को कूट छानकर जंगली बेर के समान 10 गोलियाँ बनाकर मासिकधर्म के पश्चात् एक एक गोली सुबह शाम 5 दिन खिलायें। नोट – इस योग के प्रयोग से 40-50 वर्ष की स्त्री (जिसे मासिक आ रहा हो) का भी बांझपन रोग दूर होकर गर्भ ठहर जाया करता है।

यदि प्रथम मास के प्रयोग से गर्भ न ठहरे तो यह प्रयोग जब तक गर्भ न ठहरे दूसरे या तीसरे मास तक कर सकते है। मोर के पंख के बीच वाले भाग (गहरा नीला) 9 नग लेकर गरम तवे पर भूनकर, बारीक पीसकर पुराने गुड़ में खूब मिलाकर नौ गोलियाँ बना लें। मासिक धर्म आने के दिनों में प्रतिदिन एक गोली 9 दिनों तक प्रातः सूर्योदय से पूर्व, दूध के साथ सेवन करायें। इसके पश्चात् दम्पत्ति सहवास करें तो निश्चित गर्भ ठहर जायेगा। यदि प्रयोग प्रथम मास में असफल रहे तो पुनः दूसरे या तीसरे मास प्रयोग करें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन 8 दिनों तक असली नागेश्वर का चूर्ण 3-3 ग्राम गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से मात्र पहले या दूसरे महीने में ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है। औषधि का सेवन प्रतिदिन दो बार सुबह शाम करायें। शिवलिंगी के बीज, नागौरी असगन्ध, असली नागकेशर, मुलहठी, कमलकेसर, असली वंशलोचन प्रत्येक 10-10 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम लें। सभी औषधियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में बछड़े वाली गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से तथा स्त्री पुरूष का एक माह पूर्व से ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा औषधि प्रयोग के 12वीं रात्रि सहवास करने से अवश्य गर्भ रहता है। एक माह में एक बार ही सहवास करें। अधिक से अधिक चार माह के प्रयोग से ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है।

Sunday, July 23, 2017

स्वदेशी ज्ञान – अब नहीं टपकेगी आपकी छत, सिर्फ 50 रुपैये के खर्चे में होगा इसका रामबाण इलाज स्वदेशी ज्ञान – अब नहीं टपकेगी आपकी छत, सिर्फ 50 रुपैये के खर्चे में होगा इसका रामबाण इलाज

बरसात में छत टपकाना एक आम बात है और ये स्थिति कभी कभी इतनी भयंकर होती है के पूरी की पूरी छत तोडनी भी पड़ जाती है, और ये काम कितना महंगा है आप सब जानते हैं, ऐसे में अगर कोई ऐसा प्रयोग करें के 50 रुपैये लगें और छत टपकनी बंद हो जाए. आज Only Ayurved आपको इसी बात का ग़ज़ब का तोड़ बता रहा है के कैसे टपकती हुई छत और ज़र्ज़र हो रहे पुराने ढांचे में नयी जान लायी जा सकती है. आज बता रहें हैं ओनली आयुर्वेद में श्री बलबीर सिंह जी और चेतन सिंह शेखावत जी.

सबसे पहले बात करेंगे इसके आईडिया की
Only Ayurved के टीम मेम्बेर्स ने एक विदेशी article पढ़ा जिसमे एक वैज्ञानिक अपनी नयी खोज दिखा रहा था के कैसे Bacillus bacteria के द्वारा एक घोल तैयार करके अंतिम उत्पाद calcium carbonate (Calcite) बनाया, जिस पर उन्होंने दावा किया के किसी भी पुराने ब्रिज और पुरानी छत या पुरानी दीवारें इनकी दीवारों में इसको भरने से वहां पर अपने आप एक पत्थर (Calcite) का निर्माण हो जाता है, और यही पत्थर उस जगह पर Sealing का काम करता है, जो दीवार या छत को पुरा सपोर्ट करके उसमे नयी जान डाल देता है. इसका लिंक भी आपको नीचे दे देंगे, जो भाई और इस पर शोध करना चाहें वो करें और नयी नयी जानकारियाँ निकाल कर लायें तांकि लोगों का भला हो सके.
तो ओनली आयुर्वेद ने इसी का परिक्षण करने के लिए एक घर का चुनाव किया जिस की छत टपक रही थी, उस पर अनेकों प्रयोग किये मगर वो सफल नहीं हुआ और अनेको मिस्त्रियों ने यही बोला के छत तुड़वानी पड़ेगी और कोई हल नहीं है. ऐसे में टीम ओनली आयुर्वेद ने इस फंडे को apply किया, और शत प्रतिशत कामयाबी पायी. टपकना तो दूर वहां आज 1 महीने के बाद तक अनेकों बारिश होने पर भी सीलन भी नहीं आई. तो आज आपसे भी यही शेयर कर रहें हैं. आइये जाने.

सबसे पहले जान लेते हैं इसके लिए ज़रूरी सामान
सीमेंट – ज़रूरत अनुसार
बजरी (रेत, बालू रेत) – ज़रूरत अनुसार
दही – सीमेंट का एक चौथाई 1/4
चीनी – दही का आधा

बनाने की विधि
सर्वप्रथम दही और चीनी को मिलाकर रात में ढक कर किसी मिटटी के बर्तन में रखें, अभी जहाँ पर छत टपक रही है वहां पर थोडा तोड़ लें तांकि इसके अन्दर तक ये मसाला जा सके. अभी आधे सीमेंट में बजरी और आधा चीनी वाला दही मिलाएं. बाकी को अलग कर दें। अभी तैयार मिश्रण में थोडा और पानी मिलाकर इसको पतला घोल कर लो. इस घोल को जहाँ पर छत टपकती हो उसको थोडा साइड से कुरेद कर उसमे धीरे धीरे ये घोल इसमें डालिए, जितना अन्दर जाए इसको और डालते रहें. और अभी इसको कम से कम 3 से 4 घंटे तक पड़ा रहने दें. इसके बाद बाकी बचा हुआ जो मसाला है उसमे दही मिलाकर जिस प्रकार नार्मल जो मसाला लगाया जाता है उस प्रकार से उस पर लगा दें. और इस को सूखने के लिए कम से कम 8 घंटे का समय दें. कुल मिलाकर 12 घंटे में आपकी छत टपकना बंद हो जाएगी.

कैसे करता है ये काम
इसमें जब हम दही और चीनी को जब आपस में मिलाया जाता है तो दही में उपस्थित Lacto bacillus bacteria चीनी को अपने भोजन के रूप में उपयोग करता है, और बदले में lactic acid बनाता है, जब हम इस मिश्रण को सीमेंट के घोल में मिलाते हैं तो ये lactic acid सीमेंट में उपस्थित कैल्शियम के साथ रिएक्शन करके calcium lactate और जल बनाता है. इसमें जो 3 से 4 घंटे का समय दिया है उस समय में calcium lactate हवा से क्रिया करके Calcium Carbonate बनाता है, यही calcium carbonate एक पत्थर है जो सीलिंग का काम करता है. इस प्रयोग का credit श्री बलबीर सिंह शेखावत और चेतन सिंह शेखावत को दिया जाता है. टीम ओनली आयुर्वेद उनका धन्यवाद करती है और समाज सेवा के इस उत्कृष्ट कार्य में दिए गए अनमोल सहयोग के लिए भरपूर सराहना करती है.
इस प्रयोग को करें और इसका फीडबैक दें, और हाँ दुसरे लोग जो ज़रूरत मंद हो उनकी भी सहायता ज़रूर करें. और हाँ आलोचकों और Motivate करने वालों का स्वागत है.
यह पोस्ट मूल रूप से onlyayurved.com पर अपडेट की गयी थी और ऑनली आयुर्वेद टीम को ही इसका पूरा पूरा श्रेय जाता है ।

Tuesday, July 18, 2017

नपुंसकता ,शुक्राणु बनने की दवा।

सुंदर सपने से सजी शादी की लाइफ उस समय बदरंग बन जाती है जब किसी पुरूष की जिदंगी में आता वो समय जिसकी सभी को अभिलाषा होती है घर का हर सदस्य अपने आने वाले नये मेहमान का बेस्रबी से इंतजार करता है पर ये इतंजार बढ़ते बढ़ते जब सालों में बदल जाये तो दोनो के बीच एक प्रश्न बनकर खड़ा हो जाता है। क्योकि शारीरिक संपर्क को दौरान भी किसी ना किसी के शरीर में इसकी कमजोरी प्रश्न बनती खड़ी रहती है. जब पुरूषों में शुक्राणु के बनने के लक्षण कम होते है तो उनमें नपुंसकता बढ़ने लगता है जिससे बच्चे के पैदा होने में दुविधा खड़ी हो जाती है। सामान्य तौर पर एक स्वस्थ या हेल्दी पुरूष में 15 मिलियन शुक्राणु की कोशिकाओं का होना काफी आवश्यक होता है। जिसमें स्वस्थ शुक्राणु के इन लक्षणों के अलावा रूप, संरचना और गतिशीलता का होना जरूरी माना जाता है। यदि आप थोड़ी सी सतर्कता बरते तो आप अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार लाकर शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को बढ़ा सकते है।

लौंग नपुंसकता की बहुत अच्छी दवा है. लौंग का नाम याद आया तो मै आपको इसके फायदे भी बताता हूं. ये बहुत बढ़िया चीज है. ये तो आप जानते है कि ये कफ की हर बीमारी मे काम आती है. लेकिन एक बीमारी में राजीव भाई ने इसका बहुत उपयोग किया है, और इतने बढ़िया परिणाम आए जो आपको बताने है. अगर ऐसा कोई भी पुरुष जिसके वी र्य मे शुक्राणु नही बनते, उनके लिए लौंग सबसे अच्छी दवा है. उनको लिए लौंग का पानी अमृत है, और उनको लौंग का पानी  रोज पीना चाहिए. बाजार में लौंग का तेल भी आता है. एक बूंद लौंग का तेल, एक चम्मच गर्म पानी मे डाल के रोज पिएगे तो वी र्य में बहुत शुक्राणु बनेगे. कई बार हमे ये चमत्कार लगता है लेकिन राजीव भाई को ऐसे कई पुरुष जिनके इसी एक कारण से शादी के कई साल बाद भी बच्चे नही हो रहे थे, उनको राजीव भाई ने तीन महीने लौंग का तेल दिया और अभी सब बाप बन गये. इसीलिए लौंग नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है. लौंग कफ में खांसी मे भी कई जगह काम आती है,

नपुंसकता की कुछ और दवा बताता हु जैसे ये लॉन्ग है वैसे ही अपने घर मे एक और दवा है वो भी न्म्पुस्कता को खत्म करती है और उसका नाम है चुना. जी हाँ वही चुना जो पान में डाला जाता है. ये चुना गेहू के दाने के बराबर, दही मे मिलाए किसी को  भी खिलाओ वीर मे शुक्राणु बहुत बनते है. और गन्ने के रस मे मिलाकर खिलाओगे तो और अच्छा परिणाम मिलते है. गन्ने के रस का आधा गिलास में गेहू के दाने के बराबर चुना मिलाकर पिए, ये नपुंसकता की बहुत अच्छी दवा है. इसको माताएं भी ले सकती है जिन माताओं के शरीर मे अंडे नही बनते. उनको भी गन्ने के रस मे चुना खिलाओ बहुत बढ़िया दवा है