Sunday, May 8, 2016

बंगाली स्पंज रसगुल्ले बनाइए घर पर आसानी से

सामग्री :-

दूध – 1 लीटर (5 कप, फुल क्रीम मिल्क)

चीनी – 300 ग्राम (1. 5 कप)

नींबू – 2 (रस निकाल लीजिये)

विधि –

किसी बर्तन को थोड़ा पानी डालकर धो लीजिये और दूध डालकर गरम करने के लिये रखिये. दूध में उबाल आने पर दूध को आग से नीचे उतार लीजिये, और थोड़ा सा ठंडा कर लीजिये(दूध को 80 प्रतिशत तक गरम रहने दीजिये). नीबू के रस में जितना रस है, उतना ही पानी मिला दीजिये.

दूध में थोड़ा -थोड़ा 1 – 1 टी स्पून करके नीबू का रस डालिये और मिक्स कीजिये, दूध के अच्छी तरह फटने तक नींबू का रस डालिये, और मिक्स करते जाइये, जैसे ही दूध अच्छी तरह फट जाय नीबू का रस डालना बन्द कर दीजिये, और फटे हुये दूध को किसी सूती, साफ कपड़े में छान लीजिये.

कपड़े को छलनी के ऊपर बिछाइये और नीचे कोई बर्तन रख दीजिये, फटे हुये दूध को कपड़े के ऊपर डालिये. फटे दूध से निकला पानी, नीचे रखे बर्तन में आ जायेगा और छैना कपड़े में रह जायेगा.

छैना के ऊपर 1-2 कप ठंडा पानी डालिये, छैना ठंडा भी हो जायेगा और छैना से नीबू का खट्टा स्वाद भी खतम हो जायेगा. कपड़े को चारों ओर से उठाकर, हाथ से छैना को दबाते हुये छैना से सारा पानी निचोड़ दीजिये. नरम नरम छैना बनकर तैयार है.

छैना को किसी प्लेट में निकालिये, हाथ और उंगलियों से छैना को दबाते हुये, पलट पलट कर 4-5 मिनिट तक मल मल कर नरम और चिकना कीजिये. नरम किये हुये छैना को 10 – 12, भागों में बांट लीजिये. एक भाग उठाइये और हाथ से लड्डू की तरह दबाकर पहले उसे बाइन्ड कीजिये, और अब गोल आकार देकर चिकना कीजिये. तैयार गोले को किसी प्लेट में लगा कर रखिये. सारे गोले बनाकर तैयार कर लीजिये.

रसगुल्ले कुकर में पका लीजिये, कुकर में रसगुल्ले बहुत जल्दी पक जाते हैं, क्योंकि खुले भगोने की अपेक्षा कुकर में तापमान अधिक हो जाता है, रसगुल्ले पकाने के लिये, ज्यादा तापमान की आवश्यकता होती है.

कुकर में चीनी और 4 कप पानी डालिये, उबाल आने दीजिये, उबाल आने पर छैना के बने गोले कुकर में एक एक करके डालिये, और कुकर का ढक्कन बन्द कर दीजिये. कुकर में 1 सीटी आने के बाद, आग मीडियम कर दिजिये, और रसगुल्ले को 7-8 मिनिट तक और पकने दीजिये, आग बन्द कर दीजिये.

किसी बर्तन में पानी ले लीजिये उसमें कुकर को रखकर, कुकर को ठंडा कीजिये या कुकर को नल के नीचे लगा दीजिये, ताकि वह जल्दी से ठंडा हो जाय और खुल जाय. सावधानी से ढक्कन खोलिये, कुकर से रसगुल्ले चाशनी के साथ निकाल कर किसी प्याले में रखिये और रसगुल्ले को ठंडे होने दीजिये, 5-6 घंटे के बाद रसगुल्ले अच्छे मीठे और बहुत ही स्वादिष्ट हो जाते हैं. ठंडे ठंडे स्पंज रसगुल्ले परोसिये और खाइये.

स्पंज रसगुल्ले को फ्रिज में रखकर 7 दिन तक खा सकते हैं.

सुझाव:

छैना बनाने के लिये दूध को थोड़ा ठंडा अवश्य करें. दूध में आधा कप पानी डालकर भी दूध तुरन्त ठंडा किया जा सकता है, ऐसा करने से छैना नरम बनता है, और इस छैना से बने रसगुल्ले अच्छे स्पंजी बनते हैं.

छैना अगर सख्त बनता तो रसगुल्ले तो सख्त हो जाते हैं या बिखर जाते हैं.

छैना के गोले अगर उबलते पानी में न डाले जायें तो वे टूट कर बिखर जाते हैं. रसगुल्ले उबालते समय पानी में हमेशा उबाल रहना आवश्यक है.

दाद और खुजली का घरेलु उपचार।

दाद और खुजली का घरेलु उपचार।
(Ring worm and eczema home remedy)
दाद एक फंगल इन्फेक्शन है जो सर, पैर, गर्दन या किसी अंदरुनी भाग मे कहीं भी हो सकता है । ये लाल या हलके ब्राउन रंग का गोल आकार का होता है। ये इंसान , जानवर किसी से भी फेल सकता है। लेकिन डरें नहीं ये आसानी से ठीक भी हो जाता है। ये किसी कीड़े से नहीं होता ये तो एक फंगल इन्फेक्शन है। अगर आपको ये इन्फेक्शन है तो आप अपने शरीर के किसी भी हिस्से पर लाल गोल निशान देख सकते हैं। ये बहुत तेज़ी से फेलता है जिस जगह पर हुआ है उसके आस पास की जगह पर भी फैलने लगता है। इसका इन्फेक्शन ज्यादा बढ़ने पर आप शरीर पर उभार और फुंसियाँ भी देख सकते हैं।

अगर आपको शरीर पर लाल धब्बे दीखते हैं और खुजली होती है तो सावधान हो जाइए ये दाद है अगर ये आपके नाख़ून पर हुआ तो आपका नाख़ून जड़ से निकल सकता है बालों की जड़ो मे हुआ तो आपके बाल उस जगह से झड़ सकते हैं।

* टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।

* अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं।

* पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है।

* दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है।

* 1 कप गाजर का रस रोजाना पीने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं।

* त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है।

* नीम्बू के रस में इमली के बीज पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता हैं।

* शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है।

* लहसुन में प्राकृतिक रूप से एंटी फंगल तत्व होते हैं। जो की कई तरीके के फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में सहायक है। जिसमे से दाद भी एक है। लहसुन को छिल कर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर दाद पर रख दीजिये जल्दी आराम मिलेगा।

* नारियल का तेल दाद को ठीक करने में बहुत उपयोगी है। ख़ास कर जब आपके सर की जड़ो में इन्फेक्शन हुआ हो तो ये एक बहुत बेहतरीन तरीका है।

* छोटे छोटे राई के दाने दाद को ठीक करने में सहायक है। राई को 30 मिनट तक पानी में भिगो कर रख दें। फिर उसका पेस्ट बनाकर दाद की जगह पर लगा लें।

* एलो वेरा का अर्क हर तरह के फंगल इन्फेक्शन को ठीक कर देता हैं । इसे तोड़कर सीधे दाद पर लगा लीजिये ठंडक मिलेगी। हो सके तो रात भर लगा कर रखें । एलो वेरा का नियमित सेवन करने और प्रभावित स्थान पर लगाने से दाद और खुजली में बहुत आराम मिलता हैं।

* नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिये।

* काले चनों को पानी में पीस कर दाद पर लगायें। दाद में आराम आएगा।

* शरीर के जिन स्थानों पर दाद हों, वहां बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाएं।

* छिलकेवाली मूंग की दाल को पीसकर इसका लेप दाद पर लगाएं।

* दाद होने पर हींग को पानी में घिस कर नियमित प्रभावित स्थान पर लगाये। इस से दाद में आशातीत आराम मिलता हैं।

* नौसादर को नींबू के रस में पीसकर दाद में कुछ दिनों तक लगाने से दाद दूर हो जाता है।

* नाइलान व सिंथेटिक वस्त्रों की जगह सूती वस्त्रों का प्रयोग करें तथा अधोवस्त्र को हमेशा साफ सुथरा रखें।
खुजली :
खुजली एक विशेष प्रकार के सूक्ष्म परजीवी के त्वचा पर चिपक कर खून चूसने से उस जगह पर छाले व फुंसियां निकल आती है। इससे अत्यधिक खुजली पैदा होती है। खुजली एक ऐसा चर्म रोग है जो आनंद देता है खुजाने में। जब तब त्वचा जलने न लगे तब तक खुजलाहट शांत नहीं होती। इस रोग में सबसे अधिक शरीर की सफाई पर ध्यान देना चाहिये। चूंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक शीघ्र पहुंचाता है इसलिय संक्रमित के कपड़े अलग रखकर उनकी गरम पानी से धुलाई करनी चाहिये।
इसके उपचार हैं।

* आंवले की गुठली जलाकर उसकी भस्म में नारियल का तेल मिलाकर मलहम बनायें और खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर होती है।

* नीम की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर खुजली वाले स्थान पर लगायें।

* काली मिर्च एवं गंधक को घी में मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।

* टमाटर का रस एक चम्मच, नारियल का तेल दो चम्मच मिलाकर मालिश करें और उसके आधे घंटे बाद स्नान करें। खुजली में राहत मिलेगी।

* स्वमूत्र चिकित्सा से भी इसका लाभप्रद इलाज होता है। छ: दिन का पुराना स्वमूत्र दाद खुजली पर लगाने से औ
खुजली की आयुर्वेदिक चिकित्सा
खुजली की समस्या होने पर कैस्टर ऑयल की मदद लें।
खुजली ज्यादा होने का अर्थ किसी संक्रमण का संकेत हो सकते हैं।
खुजली के कई कारण हो सकते हैं जिसमें त्वचा का रूखा होना भी है।
सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन से खुजली कम होती है।
जब त्वचा की सतह पर जलन का एहसास होता है और त्वचा को खरोंचने का मन करता है तो उस बोध को खुजली कहते हैं। खुजली के कई कारण होते हैं जैसे कि तनाव और चिंता, शुष्क त्वचा, अधिक समय तक धूप में रहना, औषधि की विपरीत प्रतिक्रिया, मच्छर या किसी और जंतु का दंश, फंफुदीय संक्रमण, अवैध यौन संबंध के कारण, संक्रमित रोग की वजह से, या त्वचा पर फुंसियाँ, सिर या शरीर के अन्य हिस्सों में जुओं की मौजूदगी इत्यादि से।
खुजली के लिए आयुर्वेदिक उपचार
खुजली वाली जगह पर चन्दन का तेल लगाने से काफी राहत मिलती है।
दशांग लेप, जो आयुर्वेद की 10 जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है, खुजली से काफी हद तक आराम दिलाता है।
नीम का तेल, या नीम के पत्तों की लेई से भी खुजली से छुटकारा मिलता है।
गंधक खुजली को ठीक करने के लिए बहुत ही बढ़िया उपचार माना जाता है।
नीम के पाउडर का सेवन करने से त्वचा के संक्रमण और खुजली से आराम मिलता है।
सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन करने से भी खुजली से छुटकारा मिलता है।
नींबू का रस बराबर मात्रा में अलसी के तेल के साथ मिलाकर खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिलता है।
नारियल के ताज़े रस और टमाटर का मिश्रण खुजली वाली जगह पर लगाने से भी खुजली दूर हो जाती है।
शुष्क त्वचा के कारण होनेवाली खुजली को दूध की क्रीम लगाने से कम किया जा सकता है।
25 ग्राम आम के पेड़ की छाल, और 25 ग्राम बबूल के पेड़ की छाल को एक लीटर पानी में उबाल लें, और इस पानी से ग्रसित जगह पर भाप लें। जब यह प्रक्रिया हो जाए तो ग्रसित जगह पर घी थपथपाकर लगायें। खुजली गायब हो जाएगी।
करेले की जड़ का रस ग्रसित जगह पर लगाने से भी खुजली कम होती है।
अगर खुजली पूरे शरीर में फैल रही है तो 3 या 4 दिनों तक पीसी हुई अरहर की दाल दही में मिश्रित करके पूरे शरीर पर लगायें। इससे खुजली फैलने से रुक जायेगी और जल्द ही गायब भी हो जायेगी।
बबूल के पेड़ की छाल से एक्ज़िमा के कारण हो रही खुजली नियंत्रण में आती है।
मौसमी घमौरियां और चुभने वाली गरमी पित्त व्यवस्था के कारण होती है। इनका इलाज छोटे डोज़ में प्रवाल पिश्ती के सेवन से किया जा सकता है।
चन्दन और काली मिर्च को पीसकर एक महीन लेई बना लें, और उसे घी के साथ मिश्रित कर लें। एक खुरदुरे कपडे से इस मिश्रण को खुजली वाली जगह पर लगा लें, और उसके बाद उस खुजली वाली जगह को सूर्य की रोशनी लगने दें। खुजली से राहत दिलाने के लिए यह बहुत ही तेज़ तरीका है, पर यह अस्थायी तौर से ही राहत दिलाता है।
पलाश के बीज रिंगवर्म, स्कैबिस, और एक्ज़िमा से होनेवाली खुजली को नियंत्रण में रखते हैं।इन बीजों को पीसकर, नींबू के रस के साथ मिश्रित करके खुजली वाली जगह पर लगाने से लाभ मिलता है।
दालचीनी के पत्ते त्वचा के हर रोग के उपचार के लिए उपयोगी माने जाते हैं। रिंग वर्म से हो रही खुजली की चिकित्सा के लिए इसका रस या लेई ग्रसित जगह पर लगाने से लाभ मिलता है।
खुजली वाली त्वचा पर नारियल तेल अथवा अरंडी का तेल लगाने से बहुत फायदा मिलता है।
खुजली की अन्य अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं आयोडाईज़द सालसा, ब्लड प्यूरीफायर, रक्तशोधक वटी, इत्यादि।

खाज खुजली एक त्वचा रोग है जो कि सरकाप्टस नामक परजीवी के कारण होती है। ये 3.0 मिली मीटर सूक्ष्म कीट होते है जिन्हें घुन कहा जाता है। मादा परजीवी संक्रमण के 2-3 घंटे के भीतर त्वचा के नीचे बिल बनाता है और 2-3 अंडे रोज देता है। 10 दिनों के अंदर अंडे से बच्चे निकलते है और वयस्क कीट बन जाते है. खुजली एक संक्रामक रोग है जोकि एक अपेक्षाकृत छोटे घुन (सरकाप्टस स्क्बी) के द्वारा संक्रमण के कारण होती है। खाज-खुजली में नमक का सेवन हानिकारक है। इसमें फलाहार और शाकाहार लाभदायक है। फलाहार, शाकाहार से रक्त में क्षार तत्व बढ़ जाता है। अगर आप भी खाज-खुजली से परेशान हैं तो नीचे लिखे घरेलू उपाय अपनाएं।

नींबू- नींबू चूसें और नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर मालिश करें। खुजली में बहुत लाभ होगा।

चमेली का तेल- इसमें नींबू का रस समान मात्रा में मिलाकर मालिश करने से सूखी खुजली में बहुत लाभ होता है।

हरड़- पिसी हुई हरड़ दो चम्मच दो गिलास पानी में उबाल कर छान लें। इसके गर्म पानी से जहां खुजली चलती हो, धोएं रूमाल भिगोकर पोंछे। इससे खुजली चलना बंद हो जाती है।

गेहूं- गेहूं के आटे का लेप करने से चर्म रोग, चर्मदाह, खुजली में लाभ होगा।

चना- चने के आटे की रोटी बिना नमक डाले 64 दिन तक खाने से दाद व खुजली दूर हो जाती है।

दूध- दूध में पानी मिलाकर रूई के फोहे से शरीर पर मलें। थोड़ी देर बाद स्नान कर लें।

जीरा- जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से बदन की खुजली और पित्ती मिट जाती है।

नीम- इसके सेवन से रक्त साफ होता है। सुबह 25 ग्राम नीम के पानी का रस लेना लाभदायक है।

खून साफ़ करने के प्राकृतिक तरीके।

खून साफ़ करने के प्राकृतिक तरीके।
खून शरीर के करोड़ों सेल्स को ऑक्सीजन, मिनरल्स, और अन्य पोषक तत्व पहुँचाने का काम करता है और यही सेल्स हमारे स्वस्थ शरीर का निर्माण करते हैं। हमारे गलत खानपान से, अधिक अम्लीय पदार्थ और नमक के सेवन से ये धीरे धीरे दूषित होता रहता है। शरीर से विजातीय पदार्थ जैसे मल मूत्र आदि अगर सही से ना निकले तो भी ये गंदगी शरीर के रक्त में घुल जाती है। जिस कारण से अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जिनमे चर्म रोग विशेष हैं। इसलिए स्वस्थ और सुन्दर शरीर की कामना रखने वालों को अपने रक्त की शुद्धि पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

भोजन में फल- साग, क्षारीय उत्पादक चीज़ो के कम खाने, अधिक अम्लीय पदार्ध एवं नमक खाने, अनुचित खान-पान और कब्ज रहने से रक्त दूषित हो जाता है। रक्त अशुद्ध होने पर किसी भी रूप में नमक ना खाएं। चीनी के स्थान पर गुड का सेवन करना चाहिए। विटामिन ‘सी’, लोहा, कैल्शियम ये सभी रक्तशोधक है। खून को प्राकृतिक तरीके से साफ़ करने के लिए इन आहारो को अपने भोजन में ज़रूर शामिल करें।
गाजर, नारंगी, अमरुद, गन्ना, बेर, परवल, पालक, सेम यह रक्त शुध्द करती है। इन चीजों को अपने भोजन में ज़रूर शामिल करें।

आंवला
आंवला रक्त में बढ़ी हुई गर्मी को कम करता है। रक्त में जमा मल, विष को दूर कर रक्त शुद्ध करता है। मांस में गर्मी बढ़ा कर मांस के मल को जलाता है। पेशी कोषों को शुध्द करता है। आंवला हर प्रकार शरीर की हर चीज़ की सफाई करता है। चर्म रोगों में लाभदायक है। यह विटामिन ‘सी’ का भण्डार है। नया रक्त बनाता है।

बेल
बेल का चूर्ण और देशी बूरा सामन मात्रा में मिला कर पानी से फँकी ले। रक्त साफ़ हो जायेगा।

दूध
कच्चे दूध की लस्सी पीने से रक्त शुद्ध रहता है। चार दिन दूध में शहद डालकर पीएँ।

निम्बू
1. नीम्बू रक्त को शुद्ध करता है। नीम्बू को फीके गरम पानी में दिन में तीन बार पीना चाहिए। पानी, चाय की तरह गर्म होना चाहिए।

2. एक नीम्बू के चार टुकड़े कर लें। चार कप दूध भर लें। एक कप दूध में एक टुकड़ा नीबू का निचोड़ कर तुरंत पी जाएँ। हर दस मिनट बाद दूध के अन्य कप व नीबू इसी प्रकार एक-एक कर पीते जाएँ। पांच सप्ताह नियमित इस प्रकार नीबू का प्रयोग करने से रक्त साफ होकर शरीर में शक्ति आएगी। भूख अच्छी लगेगी। कब्ज दूर होगी। बेचैनी दूर होगी।

आम
1. एक कप आमरस, एक चौथाई दूध, एक चम्मच अदरक का रस, मिश्री स्वाद के अनुसार मिला कर नित्य पीना चाहिए। यह रक्तशोधक है।
2. एक कप आमरस में आधा कप दूध, एक चम्मच घी, दो चम्मच अदरक का रस मिलाकर नित्य जब तक आम मिलते रहें, पीते रहें। इससे स्वास्थय अच्छा रहेगा तथा रक्त साफ़ होगा।

मुनक्का
25 ग्राम मुनक्के रात को पानी में भिगों दें। इन्हे प्रात: पीसकर एक कप पानी में घोलकर प्रतिदिन पीते रहने से रक्त साफ़ होता है।

ग्वारपाठा – एलो वेरा
ग्वारपाठा रक्तशोधक है। ग्वारपाठे का ताज़ा रस 25 ग्राम शहद १२ ग्राम और आधे निम्बू का रस मिलाकर दो बार सुबह शाम पीना चाहिए।

करेला
60 ग्राम करेले का रस एक कप पानी में मिलाकर नित्य कुछ दिन तक सेवन करने से शरीर का दूषित रक्त साफ़ हो जाता है।

मेहँदी
मेहँदी रक्त की सफाई करती है। रात को मेहँदी स्वच्छ पानी में भिगो दें, सवेरे निथार कर पानी पियें।

हल्दी
आधा चम्मच हल्दी, एक चम्मच पिसा हुआ आंवला मिला कर गर्म पानी से फंकी लेने से रक्त साफ़ होता है।

प्याज
1. प्याज का रस एक चौथाई कप और एक निम्बू का रस या शहद मिला कर दस दिन नित्य पीने से रक्त विकार दूर होकर रक्त शुद्ध होता है।
2. प्याज का ताज़ा रस आधा कप, गाजर का रस एक कप, पालक का रस एक कप ये तीनो मिलाकर नित्य प्रात: भूखे पेट पीने से रक्तविकार दूर होकर रक्त साफ़ हो जाता है।

नीम
1. नीम की पाकी हुयी दस निम्बोली नित्य चूसने से रक्तविकार ठीक हो जाता है।
2. नीम के पत्ते, फूल, निम्बोली छाल और जड़ सबको छाया में सुखाकर पीस लें। चौथाई चम्मच प्रतिदिन इसकी पानी से फंकी लें। इससे हर प्रकार का रक्त दोष ठीक हो जायेगा। लम्बी आयु तक जीवन स्वस्थ रहेगा।

आकड़ा
आकड़े के ताज़े फूल और काली मिर्च समान मात्रा में मिलाकर, पीस कर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना कर सुख लें। एक एक गोली चार बार रोज़ाना पानी से दो महीने तक लें।

गोभी
गोभी में गंधक बहुत मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ, आदि चर्म रोगों में लाभदायक है। गोभी रक्तशोधक है अत: इसे भाप में उबालकर खाना चाहिए। यह पानी में उबालने से गैस उत्पन्न करती है।

टमाटर
लाल टमाटर का रस सुबह शाम एक एक गिलास पीने से रक्त साफ़ होता है। चर्म पर होने वाली छोटी छोटी फुंसियां, खुजली, त्वचा का रूखापन, सूखापन, तथा लाल चकते दूर हो जाते हैं।

Friday, May 6, 2016

कटसरैया / पियाबासा का उपयोग

bकटसरैया / पियाबासा
- इसे कोरांटी या काटा कोरांटी भी कहते है.
- यह अनेक रंगों में जैसे सफ़ेद , लाल , बैंगनी , पीला आदि में मिलता है.
- इसे गमले में लगाने पर भी यह बहुत सुन्दर लगता है. यह आपके घर की शोभा को तो बढ़ाएगा ही साथ ही स्वास्थ्य भी देगा.
- दांतों और मसुढ़ों के लिए इसके पत्तों के साथ उबाले पानी से गरारे करें.

- दांतों में किसी भी तरह की समस्या के लिए इसके पत्तों को खूब चबा चबा कर या तो निगल ले या बाहर निकाल दें. इससे हिलते हुए दांत भी मज़बूत हो जाते है, दर्द मिट जाता है.
- मुंह की दुर्गन्ध और कम या ज़्यादा लार की समस्या के लिए एक दो पत्तियां और अकरकरा का आधा फूल चबाएं इससे मुख शुद्धि हो जाती है.
- पीयाबासे का एक दो चम्मच रस और चुटकी भर सौंठ लेने से दस्त , खुनी दस्त भी रुक जाते है.
- खांसी विशेषकर सूखी खांसी में इसके पत्तों का क्वाथ लें. बच्चों को इसके पत्तों का २-३ चम्मच रस शहद के साथ पिला दें.
- सब कुछ सामान्य होने पर भी गर्भधारण ना हो पाने पर इसके १० ग्रा. पंचांग को गाय के दूध के साथ लेने से स्त्री पुरुष दोनों को लाभ होता है.
- इसके पत्तों का लेप सुजन , दर्द , दाद - खुजली आदि को दूर करता है.

दूसरा पीले फूलों वाला पौधा या झाडी होती है, इसकी ऊँचाई चार फिट के अन्दर ही देखी गई है. इसका एक नाम कटसरैया भी है. कहीं-कहीं पियावासा भी बोलते हैं. ये झाड़ियाँ कंटीली होती हैं. इसके पत्ते भी ऊपर वाले वासा से मिलते जुलते होते हैं. किन्तु इस पौधे के पत्ते और जड़ ही औषधीय उपयोग में लिए जाते हैं. इसके चित्र सबसे ऊपर दिए गए हैं, आप ठीक से पहचान लीजिये.
इसमें पोटेशियम की अधिकता होती है इसी कारण यह औषधि दाँत के रोगियों के लिए और गर्भवती नारियों के लिए अमृत मानी गयी है.
****गर्भवती नारियों को इसके जड़ के रस में दालचीनी, पिप्पली, लौंग का २-२ ग्राम चूर्ण और एक चौथाई ग्राम केसर मिलाकर खिलाने से अनेक रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है, तन स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है, पैर सूजना, जी मिचलाना, मन खराब रहना, लीवर खराब हो जाना, खून की कमी, ब्लड प्रेशर, आदि तमामतर कष्ट दूर ही रहते हैं. बस सप्ताह में दो बार पी लिया करें.

****कुष्ठ रोग में इसके पत्तो का चटनी जैसा लेप बनाकर लगा लीजिये.
****मुंह में छले पड़े हों या दाँत में दर्द होता हो या दाँत में से खून आ रहा हो या मसूढ़े में सूजन /दर्द हो तो बस इसके पत्ते चबा लीजिये,उसका रस कुछ देर तक मुंह में रहने दीजिये फिर चाहें तो निगल लें, चाहें तो बाहर उगल दें. कटसरैया की दातुन भी कर सकते हैं.
****मुंहासों में इसके पत्तों के रस को नारियल के तेल में खूब अच्छे तरीके से मिला लिजिये, दोनों की मात्रा बराबर हो, बस रात में चेहरे पर रगड़ कर लगा कर सो जाएं, चार दिनों में ही असर दिखाई देगा. मुंहासे वाली फुंसियां भी इससे नष्ट होती हैं.
**** शरीर में कहीं सूजन हो तो पूरे पौधे को मसल कर रस निकाल लीजिये और उसी रस का प्रयोग सूजन वाले स्थान पर बार-बार कीजिये.
****पत्तो का रस पीने से बुखार नष्ट होता है, पेट का दर्द भी ठीक हो जाता है. रस २५ ग्राम लीजियेगा .
**** घाव पर पत्ते पीस कर लेप कीजिये. पत्तो की राख को देशी घी में मिलाकर जख्मों में भर देने से जख्म जल्दी भर जाते हैं,कीड़े भी नहीं पड़ते और दर्द भी नही होता.

Thursday, May 5, 2016

Remove Unwanted Hairs Permanently With Baking Soda

Almost no women can be seen in public with hairy legs. In fact, each of them wants to have a beautiful face and smooth legs, with nice and soft skin to the touch, without any hairs.The reasons of an increased hair growth in women can be found in hormonal changes, irregular menstrual cycles, certain medications, and hormonal changes during pregnancy.

There are various methods of hair removal, such as shaving, laser treatment or wax plucking, which can be time consuming, damaging to the skin and, some of them, rather painful. To save women from unnecessary trouble, here we would prefer using natural treatments that can be done at home, which are quite easily managed and have almost no side effects.

Here we introduce you to the baking soda hair removal method.

Ingredients:

– 2 tbsp. of baking soda
– 1 cup of plain water

Instructions:

Place the water in a small saucepan and bring it to boiling point. As soon as it starts simmering, remove it from the heat and pour in the baking soda. Stir well, until the baking soda dissolves.

How to remove the unwanted hairs?

Soak a cotton pad in the prepared mixture, press it with your fingers to remove the excess liquid, and apply it to the problematic hairy areas. Use a gauze to cover the pad, or an adhesive plaster, and let it stand overnight. Remove the gauze or plaster the next morning and gently wash your skin with some lukewarm water. When you’re done cleansing the area, use a standard moisturizer or your favorite face cream. Do this procedure three times a week. After three treatments, or three continuous weeks of application, you should be able to see results. Your hair follicles will get weaker and the hairs will start to grow thinner. Eventually, the unwanted hairs will disappear.