Thursday, June 1, 2017

सिर्फ 1 पान का पत्ता खाने से होते है ये 20 अद्भुत फायदे जिन्हें जान आप दंग रह जायेंगे

Vपान  जिसे अंग्रेजी में ‘betel leaf’ और संस्कृत में नागवल्लरी या सप्तशिरा कहते हैं, दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाली एक लता होती है। दिल के आकार वाले पान के पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में भोजन के उपरांत पान का सेवन बहुत ही प्रचलित है। भारत में हर गली नुक्कड़ पर पान के दूकान की मौजूदगी इस बात का सबूत है की यहाँ पान कितना पसंद किया जाता है। पूजा पाठ से लेकर पान का इस्तेमाल मिठाई बनाने तक के लिए किया जाता है। हम यह बात मान सकते है कि पान के पत्तों में सुपारी, तंबाकू, चूना आदि लगा कर खाने से स्वास्थ संबंधी बीमारी हो सकती है। लेकिन आगर आप केवल पान के पत्तें का इस्तेमाल करते है तो यह काफी लाभकारी हो सकता है। इसे खानें से गंभीर से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर दूर करने से लेकर सरदर्द, कब्ज, दर्द दूर करने के गुण होते हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में पान के इन्ही औषधीय गुणों के बारे में बताएँगे। आइए जानते हैं पान के पत्ते के फायदों के बारे में।

पान  (Betel Leaf) के पत्ते के 20 अद्भुत फायदे :
कब्ज : पान के पत्ते चबाना कब्ज के लिए भी एक कारगर इलाज है। कब्ज की स्थिति में पान के पत्ते पर अरंडी का तेल (Castor Oil) लगाकर चबाने से कब्ज में राहत मिलती है।
खाँसी : पान के 15 पत्तो को 3 ग्लास पानी में डाल ले. इसके बाद, इसे तब तक उबाले, जब तक पानी उबल कर 1/3 ना रह जाए। इसे दिन में 3 बार पिए।
पाचन तंत्र : पान के पत्ता का वैसे माउथ फेशनर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसे चबाने से हमारें लिए कापी फायदेमंद हो सकता है। जब हम इसे चबा कर खाते है तब हमारी लार ग्रंथि पर असर पड़ता है। इससे इससे सलाइव लार बनने में मदद मिलती है। जो हमारी पाचन तंत्र के लिए बहुत ही जरुरी है। अगर आपने भारी भोजन भी कर दिया है उसके बाद आप पान खा लें। इससे आपको भोजन आसानी से पच जाएगा।
ब्रोंकाइटिस : पान के 7 पत्तो को 2 कप पानी में रॉक शुगर के साथ उबाले। जब पानी एक ग्लास रह जाए तो उसे दिन में तीन बार पिए. ब्रोंकाइटिस में लाभ होगा।
शरीर की दुर्गंध : 5 पान के पत्तो को 2 कप पानी में उबाले। जब पानी एक कप रह जाए तो उस पानी को दोपहर के समय पी ले। शरीर की दुर्गंध दूर हो जाएगी।
घाव : पान के पत्ते को पीस कर जले हुए जगह पर लगाए. कुछ देर बाद इस पेस्ट को धो दे और वहा शहद लगा कर छोड़ दे। घाव जल्दी ठीक हो जाता हैं।
गैस्ट्रिक अल्सर : पान के पत्ते के रस को पीने से गैस्ट्रिक अल्सर को रोकने में काफी मदद करता है। क्योंकि इसे गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधि के लिए भी जाना जाता है।
नकसीर : गर्मियो के दिनों में नाक से खून आने पर पान के पत्ते को मसलकर सूँघे। इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा।
मुँह के छाले : मुँह में छाले हो जाने पर पान को चबाए और बाद में पानी से कुल्ला कर ले। ऐसा दिन में 2 बार करे। राहत मिलेगी। आप चाहे तो ज़्यादा कत्था लगवा कर मीठा पान खा सकते हैं।
कैंसर : पान चबाने से ओरल कैंसर से भी बचा जा सकता है बशर्ते की पान का इस्तेमाल जर्दा और तम्बाकू के बिना किया जाये। पान के पत्ते में मौजूद एब्सकोर्बिक एसिड और अन्य एंटीऑक्सीडेंट मुंह में बन रहे हानिकारक कैंसर फ़ैलाने वाले तत्वों को नष्ट करते हैं। इसके सेवन से मुंह की दुर्गन्ध भी जाती है।
आँखों की जलन और लाल होना : 5-6 छोटे पान के पत्तो को ले और उन्हे एक ग्लास पानी में उबाले. इस पानी से आँखो पर छींटे मारे। आँखो को काफ़ी आराम मिलेगा।
खुजली : पान के 20 पत्तो को पानी में उबाले। अच्छी तरह से उबलने के बाद इस पानी से नहा ले। खुजली की समस्या ख़त्म हो जाएगी।
मोटापा : वजन कम कर रहे लोगो के लिए पान के पत्ते चबाना बहुत ही फायदेमंद होता है। पान के सेवन शरीर का मेटाबोलिज्म आश्चर्यजनक रूप से बढता है। जिस से वजन कम करने में सहयता मिलती है। इसके सेवन से शरीर से अतिरिक्त वसा भी नष्ट होती है।
मसूड़ो से खून आना : 2 कप पानी में 4 पान के पत्ते को डाल कर उबाल ले। इस पानी से गरारे करे। मसूड़ो से खून आना बंद हो जाएगा।
पौरुष शक्ति : पान को सेक्स का सिंबल भी माना जाता है। सेक्स संबंध से पहले खाने से इस क्रिया का अधिक सुख लिया जा सकता है। इसलिए नए जोड़े को पान खिलाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इसलिए इसे दिया जाता है।
स्तनपान करवाने की समस्या : पान के कुछ पत्तो को ले। इन्हे धोने के बाद इन पर तेल लगा कर हल्का सा गर्म कर ले और गुनगुना होने पर इसे स्तनों (ब्रेस्ट निपल्स) के आस-पास रखे, इससे सूजन चली जाएगी और बच्चें को दूध पिलाने में आसानी होगी।
मुँह की बदबू : पान के पत्ते चबा ले या पानी में उबाल कर गरारे करे। मूह से बदबू की समस्या दूर हो जाएगी।
मुहांसे : पान के 8 पत्ते अच्छी तरह से पीस ले। इसे 2 ग्लास पानी में गाढ़ा होने तक उबाले। बाद में इसे
फेसपैक की तरह इस्तेमाल करे। मुहांसे दूर हो जाएँगे।

महिलाओं में श्वेत प्रदर : पान के 11 पत्ते 2.5 लिटर पानी में उबाल ले। इस पानी से अपनी योनि को धोए। सफेद पानी आने की समस्या में आराम मिलेगा।
बालतोड़ : आयुर्वेद में पान के पत्तों का इस्तेमाल बालतोड़ के उपचार के लिए किया जाता है। बालतोड़ (Boil) हो जाने पर पान के पत्तों को हल्का गर्म कर लें और उसपर अरंडी का तेल लगाकर बालतोड़ वाले स्थान पर चिपकाएँ।

Tuesday, May 9, 2017

अब घर पर ही बनाएं कुरकुरे

आवश्यक सामग्री
1 बड़ा कप चावल का आटा
3 छोटा चम्मच उड़द दाल
3 बड़ा चम्मच मक्खन
1 बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
2 बड़ा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
आधा छोटा चम्मच साबुत जीरा
2 छोटा चम्मच हींग
आधा छोटा चम्मच सफेद या काले तिल
नमक स्वादानुसार
सजावट के लिए
1 बड़ा चम्मच चाट मसाला
विधि
- धीमी आंच में एक पैन गर्म करने के लिए रखें.

- पैन के गर्म होते ही उड़द दाल को भून लें और आंच बंद कर दें.

- उड़द दाल में चावल का आटा, मक्खन, नमक, हींग, जीरा, लाल मिर्च पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट और तिल मिक्स कर गूंद लें.

- आटे से थोड़े बड़े आकार की लोइयां तोड़ लें और चकली मेकर में भर दें.

- धीमी आंच में एक पैन में तेल गर्म करने के लिए रखें.

- तेल के गर्म होते ही चकली मेकर को दबाते हुए आटे के छल्ले निकालें और पैन में डालते जाएं.

- छल्लों को सुनहरा होने तक तल लें.

- क्रिस्पी कुरकुरे तैयार हैं. ऊपर से चाट मसाला बुरक कर चाय के साथ सर्व करें.

- आप इसे ठंडा कर एयर टाइट डिब्बे में भी स्टोर कर सकते हैं.


कुरकुरे पोहा ओर चना दाल के बड़े

सामग्री :
2 कप भीगी चना दाल ,
2 कप भीगे पोहे ( चिड़वा ) ,
2 बड़े चम्मच हरी मिर्च -अदरख पेस्ट ,
1 बड़ा चम्मच कटा हरा धनिया ,
4 बड़े चम्मच खट्टा दही ,
2 बड़े प्याज कटे हुए ,
2 बड़े चम्मच तिल ,
2 छोटे चम्मच साबुत जीरा ,
तलने के लिए रिफाइंड तेल व नमक |
विधि :
चना दाल को पानी से निकालकर दही के साथ दरदरी पीस लें , उसमें भीगे पोहे डालकर मिला दें |

फिर अदरख-हरीमिर्च पेस्ट ,हरा धनिया , प्याज , तिल , जीरा , नमक डालकर मिला दें अब गोले बनाकर हाथ से दबा लें और फिर गरम तेल में वड़ों को तल लें |

Sunday, May 7, 2017

जलजीरा पाउडर बनाने की आसान विधि

सामग्री
काला जीरा –दो बड़े चम्मच
अमचूर –दो छोटे चम्मच
अदरक पाउडर –एक छोटा चम्मच
काली मिर्च –आधा छोटा चम्मच
सुखा पुदीना –डेढ़ छोटा चम्मच
मिर्ची पाउडर –आधा छोटा चम्मच
अजवाइन एक चौथाई छोटा चम्मच
हींग पाउडर –एक चौथाई छोटा चम्मच
लौंग –चार
सेंधा नमक –डेढ़ छोटा चम्मच
सादा नमक –एक छोटा चम्मच
विधि
सभी सामग्री को एक सूखे पैन मे सुगंध आने तक भून लें और ठंडा कर के पीस ले अब इसे डिब्बे मे भर कर रख लें और ज़रूरत के अनुसार इस्तेमाल करें

Thursday, May 4, 2017

कॉलेस्ट्राल का बढ़ना क्या है ? कॉलेस्ट्राल के लक्षण एवं रामबाण औषधीय घरेलु उपचार

क्या है कॉलेस्ट्राल ?

कॉलेस्ट्राल एक वसा जैसा घटक है, जो रक्त में परिसंचरण करता रहता है, सामान्य अवस्था में यह हमारे सरीर के लिए हानिप्रद भी नहीं है. सैल-मैम्ब्रन की समुचित देखरेख  के लिए ही हमारे सरीर में इसकी नितांत आवश्यकता होती है. चिकित्सा-विज्ञान के अनुसार हमारा सरीरी कुदरती ढंग से दो प्रकार के कॉलेस्ट्राल निर्मित करता है- प्रथम कॉलेस्ट्राल एलο डीο एलο है (L.D.L), जिसे बुरा कॉलेस्ट्राल भी कह दिया जाता है, क्यूंकि यह अत्यधिक मात्र में बड़ने पर धमनियों को अवरुद्ध करते हुए ह्र्दयघात की संभावनाओ को बढ़ता है, कॉलेस्ट्राल के अच्छे प्रकार को एचο डीο एलο (H.D.L) कहा जाता है.

कॉलेस्ट्राल की सामान्य मात्रा प्रति 100 मिलीलीटर सीरम में 150 से 250 मिलीग्राम तक सामान्य कॉलेस्ट्राल माना गया है.

अन्य नोर्मल वल्युज इस प्रकार है.–

एलο डीο एलο है (L.D.L)– 190 मिलीग्राम प्रतिशत से कम होनी चाहिए. आधुनिक विज्ञानं में 190 इसकी लिमिट कही गयी है, इस से ज्यादा हो तो फिर रोगी को l.d.l. को कम करने की दवा दी जाती है.

एचο डीο एलο (H.D.L)– 40 से 70 मिलीग्राम प्रतिशत या इस से ज्यादा होनी चाहिए.

कॉलेस्ट्राल बदने के प्रमुख कारण —

जैनेटिक फैक्टर अर्थात अनुवांशिक कारण
संतृप्त-वसा का अत्यधिक सेवन करना
शारारिक भर का अधिक बढना
धुम्रपान
परिश्रम का अभाव
लक्षण —

यद्यपि कॉलेस्ट्राल बडने में कोई सुस्पष्ट लक्षण नहीं होते है, लेकिन इसके कारण अन्य बिमारियों के लक्षण पैदा होने लगते है, जैसे एंजाइना
स्तर बहुत बढ़ा हुआ होने पर कुहनी और घुटनों पर तथा आँखों के निचे यलो-नोड्युल्स उभरने लगते है. लेकिन बहुत अधिक कॉलेस्ट्राल की मात्र के हमारे सरीर के लिए अस्वास्थ्यकर हो सकती है,
कॉलेस्ट्राल का घरेलु उपचार–

सुबह शाम खाली पेट लोकी का रस पियें, साथ में आंवले का रस भी सेवन करें, गौमूत्र का अर्क 30 ml. बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आधा कटोरी गुनगुने पानी के साथ घोलकर पियें. अमृत के समान लाभप्रद है. कद्दू का नियमित सेवन भी लाभ देता है इस से कॉलेस्ट्राल एवं ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है

क्या सेवन करने से बचे–

मक्खन, दूध से बनी हुई मिठाइयाँ एवं अन्यान्य खाद्य-पधार्थ, वनस्पति घी, पाम ऑइल, तले हुए पधार्थ, सफ़ेद चीनी, पॉलिश किया हुआ चावल, मांस, मदिरा-पान, धुम्रपान, अंडे, विविध फ़ास्ट फ़ूड, तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन करना, विविध शीतल पेय.

क्या सेवन करें–

विटामिन-C तथा विटामिन-E का नियमित सेवन करें.  विटामिन-C तथा विटामिन-E की कार्मुकता अर्थात प्रभाव को बढ़ा देता है, साथ ही यह सरीर के लिए लाभप्रद एचο डीο एलο (H.D.L) को भी बढ़ता है,
लौकी (घिया) आयुर्वेद के अनुसार मीठी लौकी का फल हर्दय के लिए असीम हितकारी होता है, इसके सेवन करने से हमारे सरीर में पित एवं कफ नमक दोष शांत होने लगते है खाने में यह स्वादिष्ट एवं वीर्य को भी बढ़ता है. शरीर की समस्त की समस्त धातुओ को पुष्टि प्रदन करता है. लौकी में आयोडीन, फासफोरस पाए जातें हैं, विटामिन-B & C भी इसमें प्रमुख मात्र में पायें जाते है.
आंवला कॉलेस्ट्राल के बढे हुए स्तरों को प्रभावशाली ढंग से नियंत्रित कर देता है, आंवले में पाए जाने वाले पैक्टिन रेशे धमनियों में जमे हुए कॉलेस्ट्राल को बाहर निकालते हुए, धमनियों की कठोरता को दूर करते है, वासा के जमाव को भी रोकते है. इन के सेवन से उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है, आंवले पे पाए जाए वाले रेशे हमारे शरीर में ओक्सिदेसन की प्रक्रिया को रोकते है, बैक्टीरिया एवं वायरस का प्रतिशोध करते हुए हमारे शरीर के प्रतिरोध तंत्र को भी शक्ति प्रदान करता है.
लहसुन और दिल का रिश्ता तो चोली और दमन जैसा है, धमनी-काठिन्य अर्थात आर्थरोस्क्लेरोसिस, हार्ट एन्लाग्मेंट, हार्ट फैल्योर, हाईपर-टेंसन इत्यादी विक्रतियो की यह रामबाण औषधि है. ईन सब पर एकपोथिया लहसुन आम लहसुन की अपेक्षा अधिक प्रभावी है. उल्लेखनीय है की लहसुन का सेवन किसी भी रूप में करने से रक्तगत कॉलेस्ट्राल का स्तर तेजी से गिरता है, परिणाम स्वरुप धमनी काठिन्य की सम्भावनाये काफी कम हो जाती है. लहसुन ब्लड प्रेसर को नियंत्रित करता है, इस के सेवन से ट्यूमर बनने की प्रक्रिया रूकती है.
आयुर्वेदिक औषधि गूगल भी बेहद लाभप्रद है. ध्यान रखे की किसी भी रूप में गूगल सेवन करने के आधा घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाएं.
कॉलेस्ट्राल को नियंत्रित करने के लिए अदरक भी बेमिसाल है. यह पोस्टाग्लेडिन तथा थ्रोम्बोक्सेन की उत्पत्ति पर प्रभावी ढंग से रोक लगती है, उल्लेखनीय है की जब हमारा शरीर अनियंत्रित रूप से पोस्टाग्लेडिन तथा थ्रोम्बोक्सेन का निर्माण करता है तो रक्त का थक्का बनने की क्षमता बढ़ जाती है.
इसबघोल के नियमित सेवन से भी कॉलेस्ट्राल नियंत्रित होता है. 5 से 10  ग्राम की मात्रा में इस की भूसी अर्थात हस्क का सेवन करें. तत्पश्चात पर्याप्त मात्रा में पानी पियें , ऊपर से अंगुरासव पिएं. नवीनतम अनुसंसाधन बताते है की इसबघोल विश्वशनीय ढंग से रक्तगत कॉलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है, विशेष रूप से एलο डीο एलο है (L.D.L) को जो विविध हर्दय रोगों का जनक मन जाता है.  इसबघोल पाचन-संस्थान में कॉलेस्ट्राल बहुत बाइल अर्थात पित्त का काफी हद तक सोखने को क्षमता रखती है, परिणाम स्वरुप रक्तगत कॉलेस्ट्राल भी नियंत्रित हो जाता है.
हल्दी पर किये गएँ अध्यन बताते है की इसे लोग जिनको आहार में प्रतिदिन एक ग्राम हल्दी का समावेश किया जाता है, उनका ट्राइग्लिसराइड एवं टोटल कॉलेस्ट्राल लेवल तीन से छे महीने में ही कम हो जाता है, हल्दी  “कॉलेस्ट्राल” को कम करने वाली दवाओ से किसी भी रूप में  कम नहीं है, हल्दी का सेवन करने से रक्त वाहिकाओ में वासा का जमाव नहीं होता है, फलस्वरूप हर्दय रोगों के पैदा होने की संभावनाएं बहुत ही कम हो  जाती है.
धनिया और जीरा को हजारो वर्षो से भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. उल्लेखनीय है की ये दोनों ही बेहतरीन एंटी-ओक्सीडेंट है, इनके नियमित सेवन करने से खून के ब्लोकेज अर्थात अवरोध आसानी से दूर हो जातें है, परिणाम स्वरुप व्यक्ति बाई-पास सर्जरी से बच जाता है.
विधि– 250 ग्राम धनिया दाना तथा 250 ग्राम जीरे को लेकर बारीक कपड-छान चूरण तैयार करें. 3 से 6 ग्राम की मात्र में यह चूरण सवेरे खालिपेट निराहार अवस्था में पानी के साथ सेवन करें. इसी प्रकार शाम को भी सेवन करें, इसके आगे पीछे एक घंटे तक कुछ भी सेवन न करें. अनेक बार अजमाया हुआ अचूक नुस्खा है.

अनार के रस का नियमित उपयोग भी लाभप्रद है. मेथी दाना, अंगूर, प्याज, किशमिश, त्रिफला, अर्थात हरड, बहेड़ा, आंवला, छाछ, भुने हुए काले चने, तुलसी की पतीयाँ भी इस विकार में ईस विकार में अमृत के समान लाभ देते है. भुने हुए चने रक्तचाप को नियंत्रित करने में बेजोड़ है. आयुर्वेद विशेषज्ञों की यह प्रबल मान्यता है की उच्च रक्तचाप के पीडितो को बराबर मात्र में गेहूं और काला चना मिलकर  पिसावकर चोकर सहित आटे से बनी रोटी रोटी का नित्य सेवन करना चाहिए यह करने से आप को दवा की जरुरत ही नाही रहेगी.
एलोवेरा-एलोवेरा का प्रयोग भी परम्परागत रूप से कॉलेस्ट्राल नियंत्रण हेतु सफलता पूर्वक किआ जाता रहा है. एलोवेरा के रस से नियमित सेवन से रक्तचाप अर्थात ब्लडप्रेशर नियंत्रित होता है, रक्त की शुधी हो कर रक्त प्रवाह बेहतर ढंग से होने लगता है. विशेष बात यह है की एचο डीο एलο (H.D.L) कॉलेस्ट्राल को बढाता है तथा ट्राइग्लिसराइड को कम करता है. इस के सेवन से हर्दय की दुर्बलता दूर होती है. इस में पाई जानेवाली गरमी तथा तीखेपन के कारण हर्दय धमनियों के अवरोध दूर होने लगते है, इसे हर्दय की सुजन भी कहते है.
अनार-प्रतिदिन एक गिलास अनार का रस पिने से जादुई ढंग से कॉलेस्ट्राल नियंत्रित होने लगता है.

अस्थमैटिक व्यक्ति के लिये घरेलू उपाय।

अगर आप अस्थमेटिक हैं तो आपको ये घरेलु उपाय ज़रूर पता होने चाहिए. श्वांस का दौरा अर्थात अस्थमा का अटैक जानलेवा हो सकता है, अगर दौरा आने पर तुरंत इन उपायों में से जितने उपाय हो सके कर लें तो दौरा तुरंत शांत हो सकता है।

1. श्वांस का दौरा होते ही मरीज को चाहिए कि जिस तरह आराम और सुभीता मालूम हो उसी तरह उसे पलंग या बिछौने वगैरह पर अच्छी तरह बिठाएं पर इस बात पर विशेष ध्यान रहे कि रोगी के कमरे में हवा का आना जाना बंद ना हो।

2. रोगी जितना सह सके उतने गर्म जल में एक कपड़ा या फलालैन का टुकड़ा भिगोकर उसमें 10 15 मिनट तक रोगी की छाती को सेकें, या थोड़ा सा सेंधा नमक गाय के घी में खूब महीन पीसकर रोगी की छाती के बीच से गले तक मले।

3. रोगी जितना सह सके उतना गर्म जल एक चौड़े और गहरे बर्तन में भर कर उसमें रोगी के दोनों पैर रखवाए, इस उपाय से श्वास का ज़ोर फौरन घट जाता है।

4. दस 15 बिना बीज के मुनक्के कुचलकर आधा पाव दूध और आधा पाव पानी में औटायें। जब पानी जल जाए अर्थात सिर्फ आधा पाव मिश्रण बच जाए तब इस को अच्छे से मलकर छान लीजिए फिर उसमें 4 – 5 काली मिर्च का चूर्ण और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर गरमा गरम ही थोड़ा-थोड़ा करके तीन-चार बार में धीरे-धीरे पी ले।

5. 5 – 7 बादामों की गिरी पानी में पीसकर कपड़े में छान लो और आग पर खूब औटा लो इसको थोड़ा थोड़ा करके रोगी को पिलाएं।

6. अंगूर का रस 30 – 40 ग्राम निकालकर थोड़ा गर्म करें और रोगी को पिलाएं।

7. रोगी को केवल गरम दूध या गर्म पानी ही पिलाएं, दूध गाय का होना चाहिए वह भी देसी। इन उपायों से कफ पतला होगा और श्वास का वेग घट जाएगा।

8. श्वास का दौरा आने पर रोगी को द्राक्षा अवलेह चटाओ।

9. कफ़ अधिक होने के कारण अगर श्वांस का दौरा आया हो तो 50 ग्राम अदरक का रस और 50 ग्राम शहद मिलाकर धीरे धीरे चटाएं।

Tuesday, May 2, 2017

झटपट अाटा केक बनाने की विधि

सामग्री
1 ¾ कप अाटा
1 कप शक्कर
¾ कप तेल
1 कप दही
1 छोटा चम्मच मीठा सोडा
8 छोटे चम्मच कोको पावडर
1 चम्मच बेनिला एेसेंस
1 बडा चम्मच दूध
अाईिसग के लिये सामग्री
2 1/2 चम्मच कोकों पावडर
4 बड़े चम्मच अाईिसग चीनी
3 चम्मच पानी
3 बूँद बेनिला एेसेंस
विधि
सबसे पहले तेल, चीनी व दही को एक बाउल में डाल कर एक दिशा में घुमाते हुए गाढा होने तक चलाएं।
आटा, सोडा, कोको पाउडर मिला कर दो बार छान लें। इसे भी एक दिशा में चलाते हुए दही के मिश्रण में मिलाएं।
बेनिला एसेंस व दूध मिला कर फिर मिलाएं। जिस बरतन में केक बना रहे पहले उसमे घी / तेल लगा कर रख लें फिर तैयार मिश्रण को उस बेकिंग डिश में डाल कर एक सार कर लें व माइक्रोवेव अवन में 4 मिनट पकाएं। चार मिनट पकने के बाद थोडा अौर वही रहने फिर बाहर निकालें।
एक चाकू की सहायता से देख लें कि केक पका है कि नही अगर चाक़ू पर केक चिपकेगा तो समझिये कि केक को थोडा अौर पकाना है।
आइसिंग के लिए सारी सामग्री को मिला कर एक पेस्ट बना लें।
केक के ठंडा होने पर निकाल कर उसके उपर आइसिंग करके सजा दें।