Wednesday, April 27, 2016

बेल फल के उपयोग

हgशास्त्रों में भगवान शिव को आदि चिकित्सक भी माना गया है। शिव ने ही अश्वनी कुमार और इन्द्र आदि देवताओं को आयुर्वेद सिखाया था।  शिवजी को चड़ने वाले इसके पत्र को सभी अच्छी तरह से जानते हें। इसके ओषधीय गुणो के कारण ही शिवजी को यह प्रिय भी है।
 
महर्षि चरक ने आयुर्वेद में बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल कहा है।
बेल के फल के 100 ग्राम गूदे का रासायनिक विश्लेषण इस प्रकार है- नमी 61.5 प्रतिशत, वसा 3 प्रश, प्रोटीन 1.8 प्रश, फाइबर 2.9 प्रश, कार्बोहाइड्रेट 31.8 प्रश, कैल्शियम 85 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 50 मिलीग्राम, आयरन 2.6 मिलीग्राम, विटामिन 'सी' 2 मिलीग्राम। इनके अतिरिक्त बेल में 137 कैलोरी ऊर्जा तथा कुछ मात्रा में विटामिन 'बी' भी पाया जाता है।
  पका हुआ बेल पका फल अधिकांशत: शर्बत के काम में ही लिया जाता है। मधुर, रुचिकर, पाचक तथा शीतल फल है। पका बेलफल बेहद पौष्टिक और कई बीमारियों की अचूक औषधि है। इसका गूदा खुशबूदार और पौष्टिक होता है।

कच्चा बेलफल ओषधीय कार्यो में कच्चा फल अधिक उपयोगी है। पका फल केवल शर्बत के काम में ही लिया जाता है। यह रुखा, पाचक, गर्म, वात-कफ, शूलनाशक व आंतों के रोगों में उपयोगी होता है। बेल का फल ऊपर से बेहद कठोर होता है। इसे नारियल की तरह फोड़ना पड़ता है। अंदर पीले रंग का गूदा होता है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में बीज होते हैं। गूदा लसादार तथा चिकना होता है, लेकिन खाने में हल्की मिठास लिए होता है। ताजे फल का सेवन किया जा सकता है और इसके गूदे को बीज हटाकर, सुखाकर, उसका चूर्ण बनाकर भी सेवन किया जाता है।
    बेल की लकड़ी चन्दन के समान पवित्र मानी जाती है। मेटाबोलोज़्म को ठीक कर देने वाले दशमूल क्वाथ, और शरीर से क्षीण हुए ऋषि च्यवन को नव जीवन प्रदान कर देने वाले च्यवन प्राश अवलेह का या एक बहुत ही महत्व पूर्ण और आवश्यक घटक है। 
   पेट के विकारों में बेल का फल चमत्कारी ओषधि है। माना गया है की अधिकांश रोगों की जड़ पेटके रोग ही होते हें। बेल के फल के नियमित सेवन से कब्ज जड़ से समाप्त हो जाती है। कब्ज के रोगियों को इसके शर्बत का नियमित सेवन करना चाहिए। बेल का पका हुआ फल उदर की स्वच्छता के अलावा आँतों को साफ कर उन्हें ताकत देता है। इसके खाने से मल की मात्रा उचित हौती है, इससे मन को अच्छा लगता है। यदि दस्त अधिक बार या बार-बार जा रहे हों तो बिल्ब खाने से वे नियमित भी हो जाते हें। इस प्रकार यह अतिसार को ठीक भी कर देता है। 
     मधुमेह रोगियों के लिए भी बेलफल बहुत लाभदायक है। बेल की पत्तियों को पीसकर उसके रस का दिन में दो बार सेवन करने से डायबिटीज की बीमारी में काफी राहत मिलती है।
    रक्त अल्पता में पके हुए सूखे बेल की गिरी का चूर्ण बनाकर गर्म दूध में मिश्री के साथ एक चम्मच पावडर प्रतिदिन देने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होकर स्वास्थ्य लाभ होता है।
     गर्मियों में प्रायः अतिसार की वजह से पतले दस्त होने लगते हैं, ऐसी स्थिति में कच्चे बेल को आग में भून कर उसका गूदा, रोगी को खिलाने से फौरन लाभ मिलता है।
    गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलुओं में भली प्रकार मलें। इसके अलावा सिर, हाथ, छाती पर भी इसकी मालिश करें। मिश्री डालकर बेल का शर्बत भी पिलाएं तुरंत राहत मिलती है।

ग्रीष्म ऋतु में बेलफल का भी कोई जवाब नहीं इसके पके फल का शरबत मीठा सुगंधित और शीतल होने से गर्मी में न सिर्फ तसली देता है बल्कि म्रदु विरचक या हलका दस्तावर या पेट साफ करने वाला होने से एक चमत्कारिक शर्बत है।
इसका शर्बत बनाने के लिए दो हिस्सों में काटकर बीज निकाले हुए  गूदे का प्रयोग किया जाता है।

शर्बत एसे बनाएँ-
1- एक बेल फल का गूदा चम्मच से अलग करके एक नॉन स्टिक पैन में डालें, 4 कप पानी डालें और गरम कर लें।

2- फिर इसमें 1/3 कप चीनी डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब डालें 15-20 ग्राम नींबु का रस और तबतक पकाएँ जबतक चीनी पूरी तरह घुल जाए।

3- आँच पर से हटाकर छान लें और ठंडा होने पर रेफ्रिजरेटर में रख दें। फिर ग्लासों में उड़ेल कर परोसें।

आप चाहें तो फल के गूदे को पानी में कुछ घन्टों तक भिगोकर फिर छलनी में से छानकर इस्तेमाल कर शुगर मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं। पर इसको अधिक समय तक रखा नहीं जा सकता।
गर्मियों की शुरुआत के साथ ही शरीर के लिए ऐसे खाद्य आैर पेय पदार्थों की आवश्यकता बढ़ जाती है, जो शरीर को गर्मी से राहत देते हुए ठंडक प्रदान करें। उनमें से बेल भी एक है, जो पेट के लिए सबसे अच्छा माना गया है।

ऊपर से भूरे सुनहरे रंग वाले पके बेल फल का गूदा पीला और खुशबूदार होता है। ठंडी तासीर होने की वजह से इसे शीतल फल भी कहा जाता है।

न्यूट्रिशनल वैल्यू
बेल में प्रोटीन, फाॅस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम, फैट, फाइबर, विटामिन-सी, बी पाया जाता है। आयुर्वेद में इसके रस को खाली पेट पीने की सलाह दी गई है। यह ज्यादा फायदेमंद होता है। दिन भर बेल का शरबत पीने से कोई फायदा नहीं।

पेट के लिए रामबाण है बेल
दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करने के साथ पेट के रोगों में भी बेल को रामबाण माना गया है। यह एसिडिटी दूर करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। अल्सर और कब्ज के साथ पेचिश की समस्या में यह फायदेमंद है। पेट संबंधी समस्या के लिए इसके मुरब्बे का सेवन करें।

लू से बचाता है
गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को पीसकर पैर के तलवे पर लगाने से आराम मिलता है। लू लगने पर इसके रस को मिश्री के साथ पीना भी सही रहता है। दस्त हो रहा हो, तो इसके कच्चे फल के गूदे का चूर्ण बनाकर काले तिल के चूर्ण के साथ खाएं।

कैसे करें स्टोर
बेल के गूदे में पर्याप्त मात्रा में बीज पाए जाते हैं, जिन्हें निकालकर गूदे को सुखाने के बाद चूर्ण बनाया जा सकता है। इस चूर्ण का सेवन पेट के रोगों में फायदेमंद होता है। गांवों में लोग बेल के गूदे की टिकिया बनाकर रखते हैं। इस मौसम में आप पके बेल और कच्चे बेल दोनों के गूदे का चूर्ण बनाकर स्टोर कर लें। कच्चे बेल के टुकड़े काटकर उनका हवन करने से घर कीटाणु रहित हो जाता है।                                       

कफ को दूर करे
छाती में जमे कफ से तेज खांसी आती है जिसकी वजह से रोगी रात भर सो नहीं पाता। इसमें बेल के गूदा को पानी में हल्की आंच में पकाएं। जब पानी की मात्रा थोड़ी सी रह जाए तो उतार कर छान लें। अब इसमें स्वादानुसार चीनी मिला लें और थोड़ी सी केसर और थोड़ी जावित्री डालकर इसे सुगंधित बना लें। अब इसे थोड़-थोड़ा करके पिएं।

मुंह के छाले
मुंह में छाले और मसूड़ों के रोग से काफी लोग परेशान होते हैं। ऐसी स्थिति में बेल का गूदा पानी में उबालकर कुल्ला करने से छाले और मसूड़ों की समस्या दूर होती है। अगर आप इसका परिणाम चाहते हैं तो नियमित रुप से इस प्रक्रिया को अपनाएं।

गर्भवती महिलाओं के लिए
गर्भवती महिलाओं को उल्टी और मतली की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर भी ज्यादा दवा लेने की सलाह नहीं देते हैं। इस स्थिति में अगर उल्टियां बंद न हो रही हों तो ऐसे में बेल के गूदे को पीस कर चावल के पानी के साथ मसल छान कर पिला। उल्टियां बंद हो जायेंग

भूख बढ़ाए
भूख कम हो, कब्ज हो, जी मिचलाता हो तो इसका गूदा पानी में मथ कर रख लें और उसमें चुटकी भर   लौंग, काली मिर्च का चूर्ण, मिश्री मिला कर कुछ दिन लेने से भूख बढ़ेगी।

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