Monday, July 25, 2016

होगी धन की वर्षा अगर जपोगे कुबेर का ये मंत्र

कुबेर को प्रसन्न करने का सुप्रसिद्ध मंत्र इस प्रकार है- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा। कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है। यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोघ मंत्र है। इस मंत्र का तीन माह तक रोज 108 बार जप करें
मंत्र का जप करते समय अपने सामने धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।

कुबेर देव का अति दर्लभ मंत्र इस प्रकार है-
मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।
मन को एकाग्र करके हनुमान चालीसा का पाठ करें। यदि हनुमान चालीसा का पूर्ण पाठ नहीं कर पा रहे हों तो इन पंक्तियों का पाठ करें-
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते।।
इन पंक्तियों के निरंतर जप से हनुमान जी को प्रसन्न होंगे ही साथ ही यम, कुबेर आदि देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होगी।

मंत्र - गणपति जी का

गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ।।
मंगल विधान और विघ्नों के नाश के लिए गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें-
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
यह मंत्र पढ़ते हुए भगवान को माला भेंट करनी चाहिए-
माल्यादीनि सुगंधीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ।।
प्रातः इस मंत्र से गणपति का स्मरण करें –
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम् ।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ।।
गणेश पूजा के उपरान्त इस मंत्र के द्वारा भगवान् भालचंद्र को प्रणाम करना चाहिए-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
पूजन के समय इस मंत्र से भगवान गणपति का ध्यान करें –
खर्व स्थूलतनुं गजेंद्रवदनं लम्बोदरं सुंदरं प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम।
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्।।

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