Wednesday, May 11, 2016

दमा के लिए चमत्कारिक औषिधि – सुहागा और मुलहठी

दमा, फुफ्फुस(फेफड़ो), पेट, कंठ, नाक, के कई प्रकार के साधारण और जटिल रोगो  के लिए ये औषिधि किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। अनेक लोगो ने इस से बहुत फायदा उठाया हैं।

आइये जाने इस विशेष प्रयोग के बारे में।

सुहागे का फुला और मुलहठी
सुहागे का फुला और मुलहठी को अलग-अलग खरल या कूटपीसकर कपड़छान कर, मैदे की तरह बारीक़ चूर्ण बना ले। फिर इन दोनों औषधियों को बराबर वजन कर मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख ले। बस, स्वास, खांसी, जुकाम की सफल दवा तैयार है।

सेवन विधि
साधारण मात्रा आधा ग्राम से एक ग्राम तक दवा दिन में दो-तीन बार शहद के साथ चाटे या गर्म जल के साथ ले। बच्चो के लिए 1/8 ग्राम (एक रत्ती) की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दे।

परहेज- दही, केला, चावल, ठंडे पदार्थो का सेवन करे।

विशेष
1. फुफ्फुस(फेफड़ो), पेट, कंठ, नाक, के कई प्रकार के साधारण और जटिल रोगो का चमत्कारिक रूप से नाश करने वाला यह योग नई दिल्ली की कविराज श्री देशराज की अदभुत खोज है।

इस एक ही प्रयोग से कई औषधालयों में खांसी, जुकाम, श्वांस, कफ, कुक्कर खांसी कई प्रकार के संक्रमण के रोगियों की कई वर्षों से सफल चिकित्सा की जा रही है जो की सस्ता, आसानी से सर्वत्र उपलब्ध होने वाला, बनाने में सरल, हानिरहित और शीघ्र प्रभावकारी है।

2. ताजा जुखाम में तो चुटकी भर दवा एक घूंट गर्म पानी में घोलकर दिन में तीन बार पिलाने से एक-दो दिन में ही समाप्त हो जाता है। इस योग का मुख्य घटक अकेला सुहागा (फुला हुआ) के बारीक़ चूर्ण का प्रयोग भी सर्दी-जुकाम में चमत्कारिक फल देने वाला है।

(सुहागा का फूला बनाने की विधि)
अ. सुहागे को फूलने या खील( शुद्ध ) बनाने के लिए बारीक़ कूटकर लोहे की स्वच्छ कड़ाही में या तवे पर डालें और तेज आंच में इतना पकाएं कि पिघलने के पश्चात सूख जाये। अब यह धीरे -धीरे फूलने लगेगा। फूलने के बीच थोड़े-थोड़े समय बाद लोहे की छुरी से इसे उल्ट-पुलट करते रहे। इस प्रकार सारा सुहागा फूल जायेगा। पर इसे बारीक़ पीसकर किसी शीशी में भरकर रख ले।

ब. कठिन खांसी, क्रुप, काली खांसी, जीर्ण खांसी और खांसी की सबी अवस्थाओं में यह सुहागा और मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ लेना उत्तम ओषधि सिद्ध हुई हैं।

क. कास की खास औषिधि होने के साथ यह उन श्वांस – रोगियों के लिए अत्यन्त लाभदायक है जिन्हे गाढ़ा-गाढ़ा बलगम बनने की शिकायत है और इतना खासना पड़ता है कि जब तक बलगम बाहर नही निकलता, चैन नही पड़ता। उहने यह दवा शहद या मिश्री की चासनी या केवल गला कत्था लगाये पान के साथ लेनी चाहिए। रात्रि सोते समय साधारण से दुगनी मात्रा लेने से स्वास रोगी के रात्रि कष्ट में काफी कमी हो सकती है। आवश्यकता अनुसार तीन-चार सफ्तह लेने से साधारण दमा दूर हो जाता है। यह बलगम को पखाने के जरिए भी निकाल देती है।

ख. यदि बलगम कच्चा थूक की तरह निकलता हो तो इस दवा की एक चुटकी मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूसे। कफ विकार ठीक होगा। जरूरत समझो तो बाद में एक कप सादा या गुनगुना पानी घूँट घूँट कर पिया जा सकता है।

3. बच्चो के लिए विशेष औषिधि।
जुकाम,खांसी जैसे बाल रोगो की यह विशिष्ट औषिधि बच्चो के दमा में भी लाभप्रद है। दन्त निकलते समय शिशु के मसूड़े पर हल्का हल्का इस महीन चूर्ण को दिन में दो बार मलने से शिशु के दन्त आसानी से और बिना किसी उपद्रव के निकल जाते है।

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