Tuesday, May 31, 2016

शादी की तैयारी

(१) सगाई के पश्चात् सबसे पहला काम होता है शादी की तारीख तय करना जो कि मुहूर्त के अनुसार, छुट्टी के अनुसार, सुविधा के अनुसार तय की जाती है।
(२) शादी की तैयारी में तारीख तय होने के बाद विवाह स्थल का चयन किया जाना महत्वपूर्ण होता है। इसके लिये यह देखा जाता है कि विवाह स्थल आपकी पसंद और बजट के अनुरूप होने के साथ ही दोनों परिवारों के लिये सुविधाजनक है। यह भी देखें की वहां पर आपको कौनसी अतिरिक्त व्यवस्था करनी है।
(३) विवाह स्थल तय होने के पश्चात् सबसे बड़ा काम रहता है पत्रिका छपवाने का।
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पत्रिका छपवाते वक्त ध्यानN दें
(१) अपने समाज की मान्यतानुरूप मंगलाचरण लिखा हो।
(२) सभी कार्यक्रम व्यवस्थित रूप से समय स्थान देकर लिखे गये हों।
(३) पत्रिका में वर—वधू के नाम के साथ ही माता—पिता के नामों का उल्लेख अवश्य करें।
(४) संभवत: पत्रिका में विनीत सदस्यों में परिवार के समस्त सम्माननीय सदस्यों के नामों का उल्लेख करना उपयुक्त रहता है।
(५) पत्रिका के लिये बजट निर्धारित करें।
(६) पत्रिका कितनी छपवानी है उसकी संख्या रिश्तेदारों व परिचितों की सूची बनाकर तय करें।
(७) पत्रिका में स्पष्ट उल्लेख करें कि आप आमंत्रित जनो को किन—कन कार्यक्रमों में बुलाना चाहते हैं व वे आपके साथ कब—कब सहभोज करेंगे। सदस्य संख्या का खुलासा होना दोनों के लिये अच्छा रहता है।
(४) टेन्ट हाऊस, घोड़ी, बाजा, लाईट डेकोरेशन, म्यूजिक सिस्टम आदि को समय, स्थान देकर आरक्षित करवा लें।
(५) यदि बारात बाहर जानी या ले जानी है तो बस की बुकिंग या रेलवे का आरक्षण नियत समय करवा लें । जिन्हें आप ले जाना चाहते हैं उन्हें निमंत्रण दें, उनकी अग्रिम स्वीकृति ले लें अन्यथा आपको असुविधा का सामना करना पड़ सकता है।
(६) (१) शादी के २ दिन पूर्व से १ दिन पश्चात् का सुबह का नाश्ता दोपहर व शाम का भोजन,महिला संगीत आदि के आयोजन में लगने वाले स्टॉल तथा शादी के प्रमुख भोजन का मीनू (विवरण) तय कर लें।
(२) यदि हलवाई से खाना बनवाना है तो हलवाई को बुक कर लें एवम् उसके सामान की सूची अतिशीघ्र ले लें।
(३) शादी के समय कौनसा सामान लगेगा उसे अलग—अलग पैकिंग में मंगायें व सूची के अनुसार पूरे सामान की जांच कर लें।
(४) यदि वैटरिंग पर देना हो तो वैटरिंग वाले से व्यक्तियों की संख्या व किस समय पर भोजन या नाश्ता चाहिए बताकर, प्लेट के अनुसार राशि निश्चित कर लें ताकि बाद में परेशानी ना हों।
(७) पूरी शादी का बजट अवश्य बनायें , उसी अनुरूप दुल्हा—दुलहन के वस्त्राभूषण की खरीदी एवम् परिवार के अन्य सदस्यों के वस्त्र की खरीदी करें।
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दुल्हा—दुल्हन के लिये तैयारी:—
(१) कार्यक्रम कितने और कौन—कौन से हैं। समयानुसार पौशाख निर्धारित करें व पैक करके रखें। दुल्हन की ड्रेस की साथ ही पहनने वाली ज्वेलरी, चूड़ियाँ, चप्पल आदि का भी मैच करके रखें।
(२) ब्यूटी पार्लर की बुकिंग करवा लें।
(३) यदि आप दुल्हन की (रिसेप्शन के लिये) ज्वेलरी किराये पर लेना चाहते हैं तो उसकी बुकिंग अवश्य करवा लें। दूल्हेराजा के लिये शेरवानी, साफा, कलंगी, मोड़ आदि भी किराये पर उपलब्ध रहते हैं आवश्यकतानुसार बुकिंग करवा लेवें।
(४) दुल्हन की पेटी सभी के लिये आकर्षण का केन्द्र रहती है । अपने बजट अनुरूप दुल्हन को कितनी साड़ियाँ देनी हैं, उनकी संख्या तय करके मंहगी, मीडियम व रोज पहनने वाली साड़ियाँ क्रय करें। क्रय करते समय विविध रंग एवम् किस्म की साड़ियाँ खरीदें सभी के साथ पेटीकोट, ब्लाऊज, चूड़ियाँ आदि खरीदें और आकर्षक पेकिंग करके पेटी या अटैची में रखें।
(५) दुल्हन के लिये मेकअप का सामान भी खरीदना होता है अत: उपयोगी सामग्री का ही क्रय करें। इसके साथ ही हेयर पिन, साड़ी पिन, पर्स, चप्पल (वेडिंग, डेली वियर व स्लीपर) भी क्रय करें।
(६) शादी में मेंहदी का अपना महत्व है विशेष रूप से दूल्हे—दुल्हन के हाथ की मेहंदी सभी देखते हैं दुल्हन—दुल्हे के हाथों में मेंहदी कब लगेगी, कौन लगायेगा, मेंहदी के नेग का क्या देना है, मेंहदी और मेंहदी का तेल कहाँ से लाना है सभी कुछ पहले से तय करें और सामान की व्यवस्था करें।
(७) धर्मशाला या गार्डन में समस्त सम्बन्धियों वेâ ठहरने की व्यवस्था उचित रूप से देखें।
(८) किस कार्यक्रम में क्या गिफ्ट (बुलाना) देना है उसे चयन करें, खरीदें और याद रखके परिवार के जवाबदार सदस्य के द्वारा बटवायें।
(९) दुल्हे—दुल्हन की हल्दी व पीटी का सामान तथा लखधने का सामान तैयार करें व एक बॉक्स में लेबल से लिखकर रख दें।
(१०) टीके की रस्म, मायरे की रस्म, निकासी का तोरण, पेरावनी हेतु अपने बुजुर्गों से सामान की सूची बनवा लें और सामग्री व्यवस्थित रूप से तैयार करें। किस अवसर पर किसे क्या देना है उसके लिफाफे वगैरह बनाकर तैयार रखें। (११) रिसेप्सन में प्राय: सभी कुछ ना कुछ उपहार या लिफाफे वगैरह बनाकर तैयार रखें। (११) रिसेप्सन में प्राय: सभी कुछ ना कुछ उपहार या लिफापेâ देते हैं दुल्हा—दुल्हन के पास जवाबदार प्रतिनिधि बैठायें ओर एक बैग उन्हें दें ताकि सभी उपहार व्यवस्थित रखें जायें।
(१२) शादी में प्राय: खाने— पीने से या सर्दी — गर्मी से अचानक कोई भी बीमार हो सकता है इसलिये साधारण दवाईयों का बॉक्स भी तैयार करें।
(१३) शादी के कामों में परिवार, रिश्तेदारों व मित्रजनों का सहयोग आवश्यक है अत: अपने रिश्तों में मधुरता बनायें उनमें योग्यतानुसार कार्य का विभाजन करें तथा उन पर विश्वास कायम रखें।
(१४) शादी के माहौल में किसी प्रकार का उतावलापन ना करते हुए धैर्य एवम् साहस बनाये रखें, कीमती सामान की जवाबदारी जिम्मेदार व्यक्ति को दें एवम् प्रत्येक को सौंपे गये कार्य व सामान की सूची अपने पास भी रखें।
(१५) समस्त जिम्मेदार व्यक्तियों, टेंट हाऊस, धर्मशाला, गार्डन आदि जो जो आपने बुक किये हैं उनसे संबंधित टेलीफोन /मोबाईल नं. की डायरी बनाकर अपने पास रखें वे एक—दो जम्मेदार व्यक्ति के पास अवश्य देवें।
(१६) शादी की सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है फैरे, अत: फैरे समय पर हों इसका ध्यान रखें, पंडित की व्यवस्था करें, फैरे का सामान, चंवरी आदि की उचित व्यवस्था का ध्यान रखें।
(१७) शादी में फोटोग्राफी या वीडियो शूटिंग का अलग ही महत्व है अत: समयानुसार फोटोग्राफर और वीडियों शूटिंग करने वाले से पहले ही बात कर लें तो उन्हें अपनी सीमा बता दें, संभव हो तो खास रिश्तेदारों और परिचितों से उनका परिचय करवा दें ताकि अनावश्यक या बहुत अधिक फोटो के खर्च से बचा जा सके। सभी जानते हैं कि ५० ज्ञ् शादीयों का खर्च खाने और अन्य व्यवस्थाओं में हो जाता है अत: इस पर नियंत्रण करें। तथा उचित व्यवस्थाओं के द्वारा शादी को आनंदमयी बनायें। आपकी अच्छी कार्यशैली, व्यवहार ही विवाह में सभी को  वाह—वाह करने पर मजबूर कर देगा।

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